निधन के 19 वर्ष बाद, मदर टेरेसा को संत की उपाधि दी जाएगी। पोप फ्रांसिस ने कार्डिनल परिषद में यह घोषणा की। नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मदर टेरेसा को 4 सितंबर को उपाधि दी जाएगी। वेटिकन की ओर से सम्मान समारोह के स्थान को लेकर कोई बयान जारी नहीं हुआ है। लेकिन संभावना है कि कार्यक्रम रोम में होगा और बाद में कोलकाता में धन्यवाद समारोह का आयोजन किया जा सकता है।
मदर टेरेसा को संत की उपाधि देने के लिए वेटिकन पैनल की बैठक में टेरेसा सहित पांच नामों पर विचार किया गया। इनमें मदर टेरेसा का नाम सबसे ऊपर था। वेटिकन की ओर से कोलकाता स्थित मिशनरीज आॠफ चैरिटी के मुख्यालय मदर्स हाउस को भेजे संदेश में कहा गया कि पोप फ्रांसिस ने मदर टेरेसा को संत का दर्जा देने की औपचारिक मंजूरी दे दी है। इसके लिए 4 सितंबर की तारीख तय की गई है। इससे पहले 2014 में फादर कुरियाकोज चवारा और सिस्टर यूफ्रेशिया को संत की उपाधि मिली थी।
मैसिडोनिया में 26 अगस्त, 1910 को जन्मीं मदर टेरेसा के माता-पिता अल्बानियाई थे। 17 वर्ष की उम्र में सिस्टर लोरेटो से दीक्षा लेने के बाद टेरेसा ने मिशन के लिए काम शुरू किया। 1929 में कोलकाता आने के बाद उन्हें तपेदिक (टीबी) हो गया। आराम के लिए उन्हें दार्जिलिंग भेजा गया। दार्जिलिंग जाते समय टेरेसा को लगा कि काॠन्वेंट छोड़कर उन्हें गरीबों के बीच रहना चाहिए। इसे उन्होंने ईश्वर का आदेश माना। इसी के बाद उन्होंने झुग्गियों में काम शुरू किया। वह गरीब बच्चों को पढ़ातीं और बीमारों की सेवा करती थीं। 1950 में उन्होंने कोलकाता में मिशनरीज आफ चैरिटी की स्थापना की। 1951 में उन्हें भारतीय नागरिकता मिली। मदर टेरेसा का निधन 5 सितंबर, 1997 में 87 साल की उम्र में हुआ था।
45 साल तक गरीबों और बीमार लोगों की सेवा करने वाली टेरेसा के निधन के 19 वर्ष बाद वेटिकन ने यह कदम उठाया है।भारत का कैथलिक चर्च चाहता है कि पोप कोलकाता आकर मदर को संत की उपाधि दें। वहीं, वेटिकन सूत्रों का कहना है कि सम्मान समारोह के रोम में ही होने की संभावना अधिक है।