चेन्नई, तमिलनाडु के पारंपरिक ग्रामीण खेल जल्लीकट्ट का आयोजन तीन साल बाद रविवार को मदुरै जिले के अवानीयापुरम में किया गया। जल्लीकट्टू के खेल में भाग लेने वाले प्रतिभागी को सांड के कूबड़ से लटककर एक निश्चित दूरी तय करनी होती है। अवानीयापुरम में आयोजित जल्लीकट्टू में 900 सांडों और प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया।
खेल से पहले सांडों और प्रतिभागियों दोनों की चिकित्सकीय जांच की गई। सांड पर काबू पाने वाले विजेताओं को साइकिल, अलमारी, यात्रा बैग और अन्य सामान पुरस्कारस्वरूप दिए गए। जिन सांडों ने खिलाड़ियों को छकाया और खुद को उनके काबू में नहीं आने दिया, उनके मालिकों को भी पुरस्कृत किया गया। इस कार्यक्रम का आयोजन पुलिस की भारी तैनाती के बीच हुआ।
तमिलनाडु ने जल्लीकट्टू के आयोजन के लिए हाल ही में एक विधेयक पारित किया था, जिसने जानवरों के खिलाफ क्रूरता रोकथाम (तमिलनाडु संशोधन) अध्यादेश, 2017 की जगह ली। यह कानून तमिलनाडु में कई सप्ताह तक चले विरोध प्रदर्शन के बाद केंद्र सरकार के सहयोग से पारित हुआ। सर्वोच्च न्यायालय ने 2014 में इस खेल पर प्रतिबंध लगा दिया था। आमतौर पर जल्लीकट्टू का आयोजन तमिलनाडु में पोंगल उत्सव के दौरान किया जाता है। हालांकि इस बार सर्वोच्च न्यायालय के प्रतिबंध की वजह से इसे पोंगल पर आयोजित नहीं किया गया।