नेपाल में जारी राजनीतिक गतिरोध समाप्त होता नहीं दिख रहा है। मधेशी दलों ने सरकार का प्रस्ताव ठुकरा दिया है। मोर्चा के वरिष्ठ नेता उपेंद्र यादव ने कहा कि इससे मौजूदा संकट का समाधान नहीं निकलेगा। 11 सूत्रीय मांग पूरा होने तक रखने का एलान किया गया है। संयुक्त लोकतांत्रिक मधेशी मोर्चा ने सरकार के प्रस्ताव को अधूरा करार दिया है। सरकार ने मधेशियों की तीन महत्वपूर्ण मांगे मानते हुए रविवार को संविधान में संशोधन की बात कही थी। नेपाल में 20 सितंबर को लागू किए गए संविधान में उपेक्षा से नाराज मधेशी चार महीने से ज्यादा समय से आंदोलनरत हैं। संविधान विरोधी आंदोलन में अब तक 50 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं। भारत से लगी सीमा की नाकेबंदी के कारण नेपाल में आवश्यक वस्तुओं और दवाइयों की भारी किल्लत है। इसे देखते हुए सरकार ने आबादी के हिसाब से प्रतिनिधित्व और निर्वाचन क्षेत्रों के नए परिसीमन के लिए संविधान संशोधन का प्रस्ताव दिया था।
एक अन्य वरिष्ठ नेता जितेंद्र सोनाल ने कहा कि जब तक सरकार सारी मांगें नहीं मान लेती प्रदर्शन और सीमा की नाकेबंदी जारी रहेगी। मोर्चा के नेताओं ने इस मसले पर मुख्य विपक्षी दल नेपाली कांग्रेस से भी बातचीत की है। गोरखपुर में मोर्चा के संयोजक महेंद्र यादव, सलाहकार विश्र्वनाथ गौड़ व अन्य नेताओं ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि मधेशी अपने हक की लड़ाई जारी रखेंगे।