मनोवैज्ञानिक विकारों से लड़ने में मदद करता है संगीत..

संगीत महज हॉबी ही नहीं है। इसका संबंध मानव मस्तिष्क के विकास से भी है। हाल ही में हुए एक शोध के अनुसार संगीत का प्रशिक्षण बच्चों को भावनाओं पर नियंत्रण रखने व ध्यान केंद्रित करने में भी मददगार साबित हो सकता है। शोध के दौरान पाया गया कि जो बच्चे वायलिन या लर्निंग पियानो बजाते थे, वह मोजार्ट बजाने वाले से अधिक तेज सीखते थे। यह शोध बाल एवं किशोर मनोरोग से जुड़े एक अमेरिकन अकादमी के रिसर्च जर्नल में प्रकाशित हुई। यह शोध कार्य वारमोंट विश्वविद्यालय के कॉलेज आॅफ मेडिसिन विभाग की बाल मनोरोग विशेषज्ञों की टीम ने किया। उन्होंने पाया कि संगीत की शिक्षा बच्चों के मष्तिष्क पर असर डालती है।

कैसे किया गया शोध:- शोधकर्ताओं की टीम ने 6 से 12 साल के 232 बच्चों के मस्तिष्क को स्कैन किया। उन्होंने मस्तिष्क की बाहरी परत जिसे कॉर्टेक्स कहते हैं, की मोटाई और पतलेपन में अंतर पाया। यह अंतर मस्तिष्क के खास हिस्सों में थे। जो चिंता, अवसाद, ध्यान की समस्याओं, आकमकता और व्यवहार नियंत्रण जैसे विषयों की तरफ संकेत कर रहे थे। ऐसा बिल्कुल स्वस्थ बच्चों में भी देखा गया। अध्ययन के समय उन्होंने बच्चों के मस्तिष्क के कार्टे्क्स पर संगीत व उसके प्रशिक्षण के प्रभाव का भी आकलन किया।

.शोध में पाया कि संगीत वादन, मस्तिष्क संचालन केन्द्रों को सक्रिय कर देता है। क्योंकि इस दौरान गतिविधि के लिए नियंत्रण और समन्यव की एक साथ आवश्यकता होती है। संगीत की वजह से मस्तिष्क के उन भागों में परिवर्तन देखा गया जो भाग व्यवहार नियंत्रण का काम करते हैं। उदाहरण के तौर पर संगीत प्रशिक्षण के बाद मस्तिष्क के उन हिस्सों का कॉर्टेक्स पहले से मोटा हो गया, जो मैमोरी, ध्यान और भविष्य की योजना से जुड़े थे। पूरे शोध से हुजैक ने निष्कर्ष निकाला कि, दवाइयों की अपेक्षा वायलिन बेहतर तरीके से बच्चों को मनोवैज्ञानिक विकारों से लड़ने में मदद कर सकती है।

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