नयी दिल्ली, सरकार ने कार्यस्थलों पर महिला की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए निजी कंपनियों को अपनी वार्षिक रिपोर्ट में यौन उत्पीड़न संबंधी शिकायतों की जानकारी और उनके निवारण का ब्यौरा देना अनिवार्य बना दिया है।
केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने यहां बताया कि निजी कंपनियों के लिए अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न रोकथाम निषेध और निवारण अधिनियम 2013 के अनुपालन का ब्यौरा देना अनिवार्य बनाया गया है। इसके लिए कंपनी मामलों के मंत्रालय ने कंपनी लेखा नियमावली 2014 में संशोधन किया है और एक जुलाई को इसकी अधिसूचना जारी कर दी गयी है।
कंपनी कानून 2013 के अनुच्छेद 134 की व्यवस्थाओं के अनुसार सभी कंपनियों के लिए अपनी वार्षिक रिपोर्ट में यह ब्यौरा देना अनिवार्य बनाया गया है कि उन्होंने श्कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़नए रोकथाम निषेध और निवारण अधिनियम 2013 का अपने यहां अनुपालन किया है। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने इसके लिए कंपनी मामलों के मंत्री को धन्यवाद देते हुए कहा कि यह निजी क्षेत्र में महिलाओं के लिए कार्यस्थलों को सुरक्षित बनाए जाने की दिशा में उठाया गया बड़ा कदम है।
उन्होंने बताया कि इस कानून का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए लगातार प्रयास किये जा रहे हैं। इसके लिए कानून के तहत बनाए गए विस्तृत नियम जारी किये जा चुके हैं। सभी केन्द्रीय मंत्रालयोंए विभागों तथा उनके तहत काम करने वाले संगठनों के लिए इन नियमों के तहत अपने यहां आंतरिक शिकायत सुनवाई समिति का गठन करना अनिवार्य बनाया गया है। मंत्रालय ने इसके अलावा पीड़ित महिलाओं को सीधे अपनी शिकायत भेजने के लिए श्शी बॉक्स नाम की एक सुविधा भी उपलब्ध कराई है।