माइग्रेन से पाना चाहते है छुटकारा,तो बस करे ये छोटा सा काम
January 23, 2019
बरसात के मौसम में गर्मी और उमस के साथ ही कई बार मौसम बेहद ठंडा हो जाता है। ऐसे में माइग्रेन के पेशेंट को बहुत प्रॉब्लम होती है। चूंकि यह प्रॉब्लम महिलाओं को ज्यादा होती है, इसलिए इस मौसम में उन्हें सावधानी रखने की ज्यादा जरूरत होती है। इस मौसम में माइग्रेन के कारण होने वाली परेशानी से कैसे बचें?
माइग्रेन सिरदर्द की बीमारी है। आमतौर पर यह दर्द आधे सिर में होता है और आता-जाता रहता है, लेकिन कई बार पूरे सिर में दर्द होता है। यह दर्द 2 घंटे से लेकर 72 घंटे तक बना रहा सकता है। कई बार दर्द शुरू होने से पहले मरीज को चेतावनी भरे संकेत भी मिलते हैं, जिससे उसे पता चल जाता है कि सिरदर्द होने वाला है। इन संकेतों को ऑरा कहते हैं। माइग्रेन को थ्रॉबिंग पेन इन हेडक भी कहा जाता है। इसमें ऐसा लगता है जैसे सिर पर हथौड़े पड़ रहे हैं। यह दर्द इतना तेज होता है कि कुछ वक्त के लिए मरीज ढंग से कामकाज भी नहीं कर पाता। ज्यादातर लोगों में माइग्रेन की बीमारी जीन से संबंधित होती है। यह बीमारी पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को ज्यादा होती है। यह बच्चों को भी हो सकती है।
कैसे होता है माइग्रेन माइग्रेन का वैज्ञानिक कारण मरीज के सिर की ब्लड वेसल्स यानी खून की नलियों का फैल जाना और उसके बाद उसमें कुछ खास तरह के केमिकल्स का स्राव होना है। ये केमिकल्स नर्व फाइबर्स यानी तंत्रिका रेशों द्वारा पड़ने वाले दबाव की वजह से निकलते हैं। दरअसल, जब सिरदर्द के दौरान कोई आर्टरी या ब्लड वेसल फैल जाती है तो वह नर्व फाइबर्स पर दबाव डालती है। इस दबाव की वजह से केमिकल रिलीज होते हैं, जिससे ब्लड वेसल्स में सूजन, दर्द और फैलाव होने लगता है। इस स्थिति में मरीज को बहुत तेज सिरदर्द होता है।
क्या हैं वजहें
एलर्जी, टेंशन, तेज रोशनी, तेज सुगंध, तेज आवाज, धुआं, सोने का तय वक्त न होना, व्रत, ऐल्कोहल, अनियमित पीरियड्स, बर्थ कंट्रोल पिल्स, हॉर्मोनल चेंज, इसके अलावा मछली, मूंगफली, खट्टे फल और अचार के सेवन से भी यह दर्द हो सकता है।
आमतौर पर हम सबको कभी-न-कभी सिरदर्द की शिकायत होती है। माइग्रेन के कारण होने वाले सिरदर्द की पहचान ऑरा से होती है। ऑरा दृष्टि संबंधी परेशानी यानी विजुअल डिस्टर्बेंस हैं, जिसमें मरीज को रुक-रुककर चमकीली रोशनी, टेढ़ी-मेढ़ी रेखाएं दिखाई देती हैं, आंखों के सामने काले धब्बे दिखाई देते हैं, स्किन में चुभन होती है और कमजोरी महसूस होती है। इसके अलावा, जी मिचलाना, उलटी होना, लो बीपी, रोशनी और आवाज से परेशानी होना आदि माइग्रेन के दूसरे लक्षण हैं। आंखों के नीचे काले घेरे होना, गुस्सा, चिड़चिड़ापन आदि भी माइग्रेन के लक्षण हो सकते हैं। इनमें से कोई एक या ज्यादा लक्षणों को पहचानकर माइग्रेन का अंदाजा लगाया जा सकता है। लेकिन ध्यान रखें कि यही लक्षण किसी दूसरी बीमारी के भी हो सकते हैं। महिलाओं को ज्यादा परेशानी यह सच है कि माइग्रेन के 10 मरीजों में से 7-8 महिलाएं होती हैं। महिलाओं को माइग्रेन का दर्द भी तेज होता है। इसकी कई वजहें हैं, जैसे कि हॉर्मोनल चेंज। पीरियड्स के दौरान होने वाले हॉर्मोनल चेंज के कारण प्रि-मेंस्ट्रुअल माइग्रेन यानी पीरियड्स से पहले होने वाला माइग्रेन काफी कॉमन है। इस दौरान 4-5 दिन तक तेज दर्द होता है। इसके अलावा, महिलाओं के ऊपर घर-बाहर की कई सारी जिम्मेदारियां होती हैं। इस वजह से वे काफी सोचती हैं और तनाव भी ज्यादा लेती हैं। महिलाएं व्रत ज्यादा रखती हैं और नींद कम लेती हैं। ये सभी बातें माइग्रेन को बढ़ावा देती हैं। उम्र बढ़ने पर हो जाता है कम माइग्रेन का इलाज नहीं है, लेकिन ज्यादातर मामलों में 30 से 40 साल की उम्र तक आते-आते यह कम हो जाता है। दर्द का लेवल और फ्रिक्वेंसी, दोनों घट जाते हैं। करीब 50-60 फीसदी मरीजों में माइग्रेन खत्म हो जाता है। लेकिन कुछ मरीज ऐसे भी होते हैं, जिनमें 30-40 की उम्र के बाद भी माइग्रेन की तीव्रता कम नहीं होती। अगर महीने में मरीज को एक या दो बार दर्द होता है और उससे उसके रुटीन पर असर नहीं होता तो माइग्रेन की स्पेशल दवा दी जाती है। 80-90 फीसदी तक मरीज इसी कैटिगरी में आते हैं। लेकिन 10 से 20 फीसदी मरीज ऐसे भी होते हैं, जिनको तेज माइग्रेन की शिकायत रहती है। इन्हें बार-बार सिरदर्द होता है। ऐसे मरीजों को प्रोफाइलैक्सिस मेडिसिन (एंटीबायोटिक) दी जाती है। मरीज को शुरुआत में कम डोज दी जाती है और एक लेवल पर लाकर उसे स्टेबलाइज किया जाता है। जब दर्द कम हो जाता है यानी महीने में एक बार होता है तो मरीज को 6-7 महीने तक उसी लेवल पर रखा जाता है। उसके बाद दवाओं का डोज कम करके धीरे-धीरे उसे बंद कर दिया जाता है। इस तरह माइग्रेन कंट्रोल हो जाता है।
इस बीमारी में बचाव बहुत जरूरी है। तापमान में तेज बदलाव से बचें। मसलन एसी से एकदम गर्मी में न निकलें या फिर तेज गर्मी से आकर बहुत ठंडा पानी न पिएं।
सूरज की सीधी रोशनी से बचें। अगर आप बाहर निकल रहे हैं तो छाता लेकर और सन ग्लासेज पहनकर निकलें।
गर्मी के मौसम में कम-से-कम ट्रैवलिंग करें।
गर्मी और उमस से बचने के लिए ठंडी जगह (एसी) में रहें।
दिन में 8-10 गिलास पानी जरूर पिएं, वरना डिहाइड्रेशन हो सकता है। डिहाइड्रेशन माइग्रेन का प्रमुख सामान्य कारक होता है। इसलिए डिहाइड्रेशन से बचें। शरीर में पानी रहेगा तो माइग्रेन के चांस कम होंगे।
बरसात के मौसम में जब उमस बहुत ज्यादा होती है, हमें वैसी चीजों को खाने-पीने से बचना चाहिए जिससे पसीना ज्यादा निकलता है, जैसे कि चाय-कॉफी आदि। -मिर्च न खाएं।
ब्लड प्रेशर मेंटेन रखें।
गर्भनिरोधक गोलियां लेने से बचें। अगर लेना ही है तो कम डोज लें। असल में, ऑरल पिल्स में प्रोजेस्टेरॉन की मात्रा ज्यादा होती है जो हॉर्मोन को असंतुलित कर देती है। इससे माइग्रेन होने के चांस बढ़ जाते हैं।
सुबह सूरज निकलने से पहले वॉक पर जाएं। नंगे पांव घास पर चलें। इससे तनाव कम होता है। तनाव कम होता है तो हॉर्मोंस भी बैलेंस हो जाते हैं। इन सब वजहों से माइग्रेन कम हो जाता है। –
रोजाना 30 मिनट योगासन और प्राणायाम जरूर करें। इससे काफी फायदा होता है। मेटिडेशन भी कारगर है, चाहे रोज 10 मिनट ही करें। इलाज माइग्रेन का कोई परमानेंट इलाज नहीं है। लेकिन यह भी सच है कि न यह जानलेवा है और न ही एक से दूसरे को फैलनेवाला। अगर सिरदर्द पैदा करने वाले कारकों की पहचान कर ली जाए और उनसे बचा जाए तो माइग्रेन को कंट्रोल किया जा सकता है। तेज दर्द होने पर मरीज को सुमाट्रिप्टन, रिजाट्रिप्टन, नैप्रोसीन, पैरासिटामॉल आदि दवाएं दी जाती हैं, जबकि बार-बार अटैक होने पर प्रोपेनोलोल या फ्लूनराजिन प्रोफाइलैक्सिस आदि दवाएं दी जाती हैं। ये जेनरिक दवाएं और अलग-अलग ब्रैंड नेम से मार्केट में मिलती हैं। याद रखें कि बिना डॉक्टर से पूछे कोई भी दवा न लें।
ऐसी हो डाइट -माइग्रेन के मरीजों को खूब सारा लिक्विड यानी जैसे कि सूप, नीबू पानी, नारियल पानी, छाछ, लस्सी आदि पीना चाहिए।
फल और हरी सब्जियां खूब खाएं।
कम मात्रा में नमक लें। दिन भर में आधा छोटा चम्मच नमक काफी है क्योंकि ज्यादातर फूड आइटम्स में खुद ही नमक होता है।
चाय, कॉफी और कोल्ड ड्रिंक आदि लेने से बचें। इन्हें लेने से माइग्रेन बढ़ सकता है।
ऐल्कोहल और चॉकेलट के सेवन से भी बचें। इनसे भी सिरदर्द होता है।
बेहद तेल-मसाले वाला खाना और उपवास भी माइग्रेन की परेशानी बढ़ाते हैं इसलिए इससे बचें।
कुछ तरह के चीज, बहुत ज्यादा नमक वाला खाना और प्रोसेस्ड मीट खाने से भी माइग्रेन बढ़ सकता है।
एक साफ टॉवल में आइस के कुछ टुकड़े रखें और उससे सिर, माथे और गर्दन के पीछे 10-15 मिनट सिकाई करें। पिपरमिंट ऑइल की कुछ बूंदें आइस पर डालने से असर जल्दी होता है। जब भी जरूरत लगे, इस्तेमाल करें। आप हॉट और कोल्ड कंप्रेसर को अल्टरनेट भी यूज कर सकते हैं।
2. मसाज सिर की मसाज करें। पहली 2 उंगलियों से हल्के हाथ से गोल-गोल घुमाकर सिर की मजा करें। सिर के बीच, दोनों भौंहों के बीच और आंखों के कोनों पर स्थित प्रेशर पॉइंट्स को भी दबाएं। तिल के तेल में एक टुकड़ा दालचीनी और 1-2 इलायची डालकर गर्म कर लें। इस तेल से मालिश करें। मालिश दर्द के सिग्नल दिमाग तक पहुंचने में रुकावट पैदा करती है। इससे सिरोटोनिन बढ़ता है, जो दर्द कम करने में मदद करता है।
3. पिपरमिंट पिपरमिंट में सूजन को कम करने के गुण होते है। साथ ही, यह शांत और स्थिरता का भाव भी पैदा करता है। आप पिपरमिंट चाय पी सकते हैं या फिर पिपरमिंट ऑयल की कुछ बूंदें एक चम्मच शहद के साथ आधे गिलास पानी में मिलाकर भी पी सकते हैं। पिपरमिंट ऑयल से सिर और माथे पर 20-25 मिनट मालिश करने से भी फायदा होता है।
4. सेब का सिरका ऐपल साइडर विनेगर यानी सेब का सिरका माइग्रेन में राहत दिलाता है। एक गिलास पानी में एक छोटा चम्मच सेब का सिरका और एक चम्मच शहद डालकर पिएं। करीब 30 दिन लगातार पीने से राहत मिलेगी। जब माइग्रेन हो या लगे कि होनेवाला है तो 2-3 चम्मच लें। यह शरीर को साफ करने, शुगर और ब्लड प्रेशर को कंट्रोल, वजन कम करने के अलावा हड्डियों और जोड़ों के दर्द में भी राहत दिलाता है। सेब का सिरका नहीं है तो आप सेब भी खा सकते हैं। ग्रीन ऐपल को सूंघना भी फायदेमंद हो सकता है।
5. अदरक अदरक भी सिरदर्द में राहत दिलाता है। अदरक का आधा चम्मच रस एक चम्मच शहद तमें मिलाकर खाने से फायदा होता है। चाय में भी अदरक डालकर पी सकते हैं। अदरक का एक टुकड़ा मुंह में रखना भी फायदेमंद है। अदरक का किसी भी रूप में सेवन माइग्रेन में राहत दिलाता है।