लखनऊ, समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव की पत्नी साधना यादव ने कई चौंकाने वाले दिल के राज उजागर कियें हैं. एक न्यूज एजेंसी से बातचीत में साधना ने तमाम पारिवारिक और राजनैतिक रहस्योदघाटन किये.
पिछले दिनों परिवार में मचे कलह के दौरान साधना यादव पर लगे आरोपों को लेकर साधना ने कहा, “परिवार में जो कुछ भी हुआ काफी दुखद था. मैं इसके लिए किसी पर दोषारोपण नहीं करना चाहती. लेकिन झगड़े के लिए मुझे जिम्मेदार बताना गलत है.” उन्होने बताया कि …मैंने परिवार में झगड़ा नहीं कराया। नेताजी का अपमान नहीं होना चाहिए था… मेरा बहुत अपमान हुआ है … लेकिन अब जो होगा खुल कर होगा. दुष्ट लोगों ने मेरे बारे में गलत बोला कि मैं पॉवरफुल बनना चाहती हूं, लोगों ने मेरे घर को बर्बाद किया, मैं दुष्ट लोगों को जवाब देना चाहती हूं. मैंने बहुत त्याग किया है, मैंने नेताजी को कह दिया अब मुझे कोई रोक नहीं सकता. साधना ने कहा “मैं उस परिवार में पली बढ़ी जहां मेरे पापा कहते थे कि किसी को भी अपने अच्छे कार्यों का गुणगान नहीं करना चाहिए,कोई भी काम करो या कोई दान करो बताओ नहीं लेकिन अब काम को बता के करने का वक्त है, अब वक्त बदल गया है.”
अखिलेश यादव से संबंधों पर साधना ने कहा कि पिछले पांच सालों की तुलना में 1 जनवरी से उनकी बात अखिलेश से ज्यादा हुई है. मैं चाहती हूं कि हमारी पार्टी जीते और अखिलेश फिर से मुख्यमंत्री बनें.” मैने नेताजी के परिवार को हमेशा एक माना, मेरे और अखिलेश के बीच कोई बात नहीं कभी अखिलेश को सौतेला बेटा नहीं माना, अखिलेश ने कभी किसी बात का जवाब नहीं दिया। मेरे कहने पर अखिलेश सांसद का चुनाव लड़े थे, धर्मेन्द्र को भी मेरे कहने पर चुनाव लड़ाया. मुलायम सिंह को लेकर उन्होंने कहा, “ चाहे कुछ भी हो किसी को भी नेताजी का अपमान नहीं करना चाहिए. आखिर उन्हीं ने समाजवादी पार्टी की स्थापना की और इसे सींच कर यहां तक लेकर आए.” साधना ने कहा, “मुझे नहीं पता अखिलेश को किसने गुमराह किया. लेकिन अखिलेश बागी हो जाएगा ये किसी ने भी नहीं सोचा था. अखिलेश नेताजी और मेरा बहुत सम्मान करते हैं.”
शिवपाल यादव पर उन्होंने कहा, “ शिवपाल यादव का बहुत अपमान हुआ. उनका अपमान नहीं होना चाहिए था. शिवपाल की कोई गलती नहीं थी. उन्होंने नेताजी और पार्टी के लिए बहुत कुछ किया है.”साधना ने आगे कहा कि शिवपाल ने भी बहुत गरीबी के दिन देखें हैं. उन्होने बताया कि एेसे भी दिन रहे जब शिवपाल जिस दरी पर सोते थे, उसी को मोड़कर ओढ़ भी लिया करते थे. गरीबी के समय शिवपाल ने साथ दिया, नेताजी के शिवपाल सबसे भरोसेमंद हैं. रामगोपाल को लेकर साधना बोलीं कि वह तो नेताजी का बहुत सम्मान करते थे. प्रोफेसर साहब नेताजी को बहुत मानते थे, नेताजी भी प्रोफेसर को बहुत मानते थे,.. नेताजी की सब बात मानते थे अब पता नही क्या हो गया है.
साधना यादव ने इच्छा जाहिर करते हुए कहा कि वे चाहती हैं कि उनके बेटे प्रतीक यादव भी राजनीति में आएं, प्रतीक राजनीति में आकर सांसद बने. साधना ने कहा, “नेताजी ने मुझे राजनीति में नहीं आने दिया. हां लेकिन पर्दे के पीछे से मैं काम करती रही. अब मैं पॉलिटिक्स में नहीं आना चाहती.मैं समाजसेवा करना चाहती हूं. हां चाहती हूं कि मेरे बेटे प्रतीक यादव राजनीति में जरुर आएं.” जबकि सत्यता यह है कि साधना यादव के बेटे प्रतीक यादव कई बार कह चुके हैं कि उनका राजनीति से कोई लेना देना नहीं है और वे अपने बिज़नेस से खुश हैं. उनका राजनीति में आने का कोई इरादा नहीं है. साधना की बहू और उनके बेटे प्रतीक की पत्नी अपर्णा यादव इस बार लखनऊ की कैंट विधानसभा से समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं.