मेट्रो विधेयक पारित होने तक नई परियोजनाओं को मंजूरी नहीं
May 7, 2017
नई दिल्ली, दिल्ली सहित अन्य राज्यों में मेट्रो रेल परियोजनाओं को लागू करने के लिये राष्ट्रीय स्तर पर एक ही कानून बनाने की प्रक्रिया पूरी होने तक किसी भी राज्य की मेट्रो परियोजना को केन्द्र सरकार से मंजूरी नहीं मिलेगी। केन्द्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश सहित अन्य राज्यों से मेट्रो रेल परियोजनाओं को मंजूरी देने के लिये मिल रहे प्रस्तावों को फिलहाल ठंडे बस्ते में डाल दिया है।
साथ ही राज्यों को इस बाबत सूचित भी कर दिया गया है कि देश भर के लिये एक ही कानून के रूप में मेट्रो रेल विधेयक 2017 लागू होने तक मेट्रो रेल का कोई नया प्रस्ताव मंजूरी के लिये नहीं भेजें। मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि दो दर्जन से अधिक शहरों में मेट्रो रेल शुरू करने के प्रस्तावों पर मंजूरी के आवेदनों की भरमार को देखते हुये मेट्रो परिचालन के लिये राष्ट्रीय स्तर पर एक ही कानून बनाने की पहल की गयी है।
इतना ही नहीं कुछ ऐसे शहरों से भी प्रस्ताव मिले हैं जहां मेट्रो परिचालन निहायत गैरजरूरी है। इसके मद्देनजर शहर के ट्रैफिक प्लान, आबादी और सार्वजनिक परिवहन के साधनों की मौजूदा स्थिति आदि मानकों को प्रस्तावित कानून के मसौदे में शामिल किया गया है। इन मानकों पर खरे उतरने वाले प्रस्तावों को ही मंत्रालय से मंजूरी दी जायेगी।
फिलहाल दिल्ली मेट्रो अधिनियम (डीएमआरसी एक्ट) की तर्ज पर विभिन्न राज्यों द्वारा अपने कानून बनाकर स्थानीय मेट्रो परियोजनाओं को मानकों की कसौटी पर कसा जाता है। मौजूदा व्यवस्था में मेट्रो परियोजना को मंजूरी मिलने पर लागत में आधी हिस्सेदारी केन्द्र सरकार की होती है।
अधिकारी ने बताया कि प्रस्तावित विधेयक लागू होने के बाद देश भर में मेट्रो रेल का संचालन एक ही कानून के तहत होगा। इसके साथ ही डीएमआरसी के अलावा जयपुर, बेंगलुर, लखनऊ और मंुबई सहित सभी शहरों के प्रस्तावित रेल कार्पोरेशन भी मेट्रो रेल कानून के तहत संचालित होंगे।