नई दिल्ली/होंगझाउ, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने समूह 20 की शिखर बैठक से इतर तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तय्यप एरदोगान के साथ भारत के एनएसजी सदस्यता के प्रयासों का मुद्दा उठाया और साथ ही फ्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रैंकोइस ओलांद के साथ इंडियन स्कोर्पिन पनडुब्बी के गोपनीय आंकड़ों के लीक होने के मुद्दे पर चर्चा की। इस पूर्वी चीनी शहर में शिखर बैठक के अंतिम दिन मोदी ने एरदोगान और ओलांद से अलग अलग मुलाकात की।
इससे पूर्व वह ब्रिटेन की नयी प्रधानमंत्री थेरेसा मे से मिले और यूरोपीय संघ से ब्रिटेन के अलग होने के फैसले के बाद के परिदृश्य में अवसरों के निर्माण को लेकर उनसे चर्चा की। एरदोगान के साथ अपनी मुलाकात में प्रधानमंत्री ने 48 सदस्यीय परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में भारत की सदस्यता के मुद्दे पर विचार विमर्श किया। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने यह जानकारी दी। एरदोगान के साथ एनएसजी पर चर्चा महत्वपूर्ण थी क्योंकि तुर्की उन कुछ देशों में शामिल था जिसने चीन के साथ सोल में जून में एनएसजी की बैठक में भारत के शामिल होने का विरोध किया था। चीन ने यह कहते हुए आपत्ति जतायी थी कि भारत परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) का हस्ताक्षरकर्ता नहीं है। तुर्की ने भी असंतुष्ट मुस्लिम नेता फतुल्लाह गुलेन के समर्थकों की भारत में मौजूदगी पर आपत्ति जतायी थी जिस पर तुर्की ने जुलाई के विफल सत्ता पलट की साजिश रचने का आरोप लगाया था।
स्वरूप ने बताया कि तुर्की के साथ नागर विमानन संबंधों को बढ़ाने पर भी मुलाकात के दौरान चर्चा की गयी। ओलांद के साथ अपनी द्विपक्षीय वार्ता में मोदी ने स्कोर्पिन श्रेणी की पनडुब्बियों से संबंधित संवेदनशील गोपनीय आंकड़ों के लीक होने का मामला उठाया। स्वरूप ने कहा, यह मुद्दा भी उठा। फ्रांसीसी रक्षा कंपनी डीसीएनएस के सहयोग से मुंबई में भारतीय नौसेना के लिए बनायी जा रही छह अत्याधुनिक पनडुब्बियों की क्षमता के संबंध में 22 हजार से अधिक पन्नों के गोपनीय आंकड़े लीक हो गए थे। बताया जाता है कि ये आंकड़े विदेश में लीक हुए हैं। मे के साथ प्रधानमंत्री ने इस बात को रेखांकित किया कि यूरोपीय संघ से बाहर होने के बाद भी ब्रिटेन भारत के लिए एक महत्वपूर्ण सहयोगी है। स्वरूप ने बताया, मे ने हाल ही में पारित जीएसटी विधेयक का भी जिक्र किया जिससे ब्रिटेन में कारोबार और निवेश संबंधों को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने प्रधानमंत्री के सुधार एजेंडे का भी समर्थन किया और कहा कि ब्रिटेन मेक इन इंडिया, स्मार्ट सिटी और कुशल भारत पहलों में भाग लेने का इच्छुक है। दोनों नेताओं ने रक्षा साझेदारी को और बढ़ाने पर विचार विमर्श किया तथा मोदी ने ब्रिटिश कंपनियों को भारत में आमंत्रित किया। उन्होंने आतंकवाद की चुनौतियों के बारे में भी चर्चा की और इसे विश्व के लिए सबसे बड़ा खतरा बताया जिसकी कोई सीमा नहीं है। स्वरूप ने यह जानकारी दी।
मोदी और मैने भारत और ब्रिटेन के बीच आतंकवाद विरोधी सहयोग को बढ़ाने पर भी चर्चा की। मारग्रेट थैचर के बाद ब्रिटेन की दूसरी महिला प्रधानमंत्री मे ने ब्रिटेन में भारतीय समुदाय को उनके देश द्वारा दिए जाने वाले महत्व को भी रेखांकित किया। दुनिया के सबसे बड़े एकल बाजार 28 सदस्यीय यूरोपीय संघ से ब्रिटेन के बाहर होने के फैसले के बाद पद छोड़ने वाले डेविड कैमरन की जगह लेने पर मोदी ने मे को बधाई दी और रणनीतिक द्विपक्षीय साझेदारी को और मजबूत करने के प्रति भारत की प्रतिबद्धता दोहरायी। मे ने 27 जुलाई को नयी जिम्मेदारी संभाली थी। यहां अपनी अंतिम द्विपक्षीय मुलाकात में मोदी ने अर्जेंटीना के राष्ट्रपति मारोसियो मासरी के साथ भी वार्ता की। फ्रांसीसी राष्ट्रपति ओलांद के साथ मुलाकात के दौरान राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और विदेश सचिव एस जयशंकर भी मोदी के साथ थे। मोदी ने रविवार को अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ संक्षिप्त मुलाकात की थी और साथ ही चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के साथ द्विपक्षीय वार्ता की थी। उन्होंने रविवार को आस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री मैलकम टर्नबुल और सऊदी अरब के उप शाहजादे मोहम्मद बिन सलमान के साथ भी अलग अलग मुलाकात की थी।