नई दिल्ली, कांग्रेस ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार सूचना अधिकार (आरटीआई) कानून को खत्म करने का प्रयास कर रही है जिसका सभी राजनीतिक दलों के साथ बातचीत करके संसद के भीतर और बाहर लोकतांत्रिक तरीकों से विरोध किया जाएगा।
कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने पार्टी मुख्यालय में नियमित प्रेस ब्रीफिंग में आरोप लगाया कि मोदी सरकार आरटीआई कानून को रद्द किए बगैर इसे खत्म कर रही है। यह सरकार इस कानून को लगातार कमजोर कर रही है। सरकार आरटीआई का जवाब सही तरीके से नहीं देती और इसके तहत पूरी सूचना भी नहीं दी जाती है। अपील की प्रक्रिया में विभिन्न तरह की अड़चनें पैदा की जाती है और इन तरीकों को औपचारिक रूप देने के लिए नियमावली में बदलाव कर रही है। उसने कानून की नियमावली में बदलाव करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। नई नियमावली का प्रारूप कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग की वेबसाइट पर डाला गया है और आम जनता से सुझाव मांगें गए हैं।
तिवारी ने कहा कि सरकार के इस कदम का संसद के भीतर और बाहर सभी लोकतांत्रिक तरीकों से विरोध किया जाएगा और इसके लिए विभिन्न राजनीतिक दलों से भी बातचीत की जाएगी। उन्होंने कहा कि आरटीआई कानून बनने की प्रक्रिया और इसके बाद के समय में भी भाजपा के लोग आरटीआई का विरोध करते रहे हैं। श्री तिवारी ने कहा कि नई नियमावली के प्रारूप में प्रावधान किया गया है कि अगर कोई आरटीआई आवेदन 500 शब्दों से अधिक का है तो उसे संबंधित अधिकारी खारिज कर सकेगा। इसके अलावा सूचना प्राप्त करने का व्यय आवेदनकर्ता को वहन करना होगा।जानकारी लेने के लिए प्रति पेज की कीमत भी 100 प्रतिशत की वृद्धि की गयी है। इसके अलावा अपील प्रक्रिया को भी पहले से बहुत कठिन बना दिया गया है। उन्होंने कहा कि नई नियमावली के अनुसार आरटीआई आवेदनकर्ता की मृत्यु होने पर आरटीआई का आवेदन भी समाप्त हो जाएगा। कांग्रेस नेता ने कहा कि सरकार वास्तव में सरकारी अधिकारियों के कामकाज की जांच करने के जनता के अधिकार को समाप्त करना चाहती है। इसलिए वह ऐसे प्रयास कर रही है। इन से सरकार की नीयत का पता चलता है। उन्होंने कहा कि सरकार के इन कदमों सभी प्रगतिशील व्यक्तियों और संस्थानों को विरोध करना चाहिए। उन्होंने कहा कि आरटीआई कार्यकर्ताओं पर पहले के मुकाबले हमले बढ़ रहे हैं जो ङ्क्षचता का विषय है।