लखनऊ, समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि भाजपा जबसे सत्ता में आई है यूपी के कई जिलों में किसानों ने आत्महत्याएं की हैं। उन्होने कहा कि किसान फसलों की बढ़ती लागत और गलत सरकारी नीतियों के चलते कर्ज में डूबता जा रहा है और विवश होकर आत्महत्या तक कर लेता है।
अखिलेश यादव ने कहा आज देश में अन्नदाता किसान की परेशानियों पर भाजपा की नज़र नहीं है। उसे अपनी खेती और परिवार बचाए रखने के लिए बैंकों और साहूकारों के सामने कर्ज के लिए गिड़गिड़ाना पड़ता है और फिर जब दूसरा रास्ता नहीं सूझता तो फांसी के फंदे पर झूल जाता है। अभी पिछले दिनों प्रदेश में बांदा, फतेहपुर, सहारनपुर, इटावा, सहित कई जिलों में किसान आत्महत्याएं कर चुके हैं।
अखिलेश यादव ने कहा कि ताजा घटनाओं मे सहारनपुर में थाना नकुड के ग्राम नल्हेड़ा में कर्ज से परेशान किसान प्रवीण कुमार ने अपनी जान दे दी। हापुड़ जनपद में बहादुरगढ़ थाना क्षेत्र के गांव लुहारी के कर्जदार किसान योगेश (35) ने परेशान होकर आत्महत्या कर ली। ऐसे ही कई मामले हैं जिनसे किसानों का एक वर्ग अब खेती करना ही नहीं चाहता है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कृषि प्रधान देश में कृषि और कृषक के साथ भाजपा सरकारें दुर्व्यवहार कर रही हैं।
अखिलेश यादव ने कहा कि सत्तारूढ़ दल भाजपा की गलत नीतियों के चलते किसान की हालत बद से बदतर होती जा रही है। उसे समय से न तो पर्याप्त बिजली मिलती है और नहीं लाभकारी समर्थन मूल्य। सिंचाई, खाद, बीज के लिए भी उसे परेशान होना पड़ता है।
पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि भाजपा जबसे सत्ता में आई है किसानों की सबसे ज्यादा उपेक्षा होने लगी हैं। चुनावों के माहौल में भाजपा नेतृत्व ने किसानों के लिए बहुत घड़ियाली आंसू बहाते हुए उनकी बेहतरी के लिए बड़े-बड़े वादे किए थे। लेकिन सत्ता में आने के बाद उनकी प्राथमिकताएं बदल गईं। गांव-किसान खेत की उपेक्षा होने लगी हैं। किसान फसलों की बढ़ती लागत और गलत सरकारी नीतियों के चलते कर्ज में डूबता जा रहा है और विवश होकर आत्महत्या तक कर लेता है।
अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा ने अपने चुनाव घोषणापत्र में किसानों का एक लाख तक का कर्ज माफ करने, फसल के उत्पादन लागत का डेढ़ गुना मूल्य देने का वादा किया था। कर्जमाफी के नाम पर किसानों के साथ बड़ा धोखा किया गया। गन्ना किसानों को समर्थन मूल्य में मात्र 10 रूपए की वृद्धि की गई। इससे किसानों का भला होने वाला नहीं। गन्ना किसानों का चीनी मिलों पर अभी भी 926 करोड़ रूपया बकाया है जबकि वादा किया गया था कि सरकार बनने के 120 दिनों में ही सारा बकाया अदा कर दिया जाएगा।
पूर्व मुख्यमंत्री जी ने कहा कि आलू किसानों के साथ तो और भी ज्यादा धोखाधड़ी की गई है। सरकार ने आलू खरीद का सपना दिखाया पर कहीं आलू क्रय केन्द्र नहीं खुले। पुराना आलू कोल्ड स्टोरेज से निकाला नहीं जा रहा है क्योंकि वह घरों में सड़ रहा है। जमाखोरों की पौ बारह है। किसान को मंहगे बीज, खाद और आयातित कीटनाशकों की खरीद में कर्जदार होना पड़ रहा है। अनुमान है कि खरीफ की प्रमुख फसलों धान, मक्का, सोयाबीन, मूंगफली, कपास, की खेती पर लागत से कम मूल्य मिलने पर किसानों को 35,968 करोड़ रूपए का नुकसान उठाना पड़ेगा।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों के प्रति समाजवादी सरकार का रवैया संवेदनशील था। समाजवादी सरकार ने गन्ना किसानों को 40 रूपए एक मुश्त बढ़ाकर समर्थन मूल्य दिया था। किसानों को मुफ्त सिंचाई, बीमा की सुविधा दी थी। किसानों का 50 हजार रूपए तक का कर्ज माफ कर दिया था। गांवों के लिए 75 प्रतिशत धनराशि बजट में रखी थी। किसानों के लिए मंडी स्थल, खाद्य प्रसंस्करण केन्द्रों की सुविधा दी गई थी। दुग्ध उत्पादन और दुग्ध मण्डियों में वृद्धि हुई थी और किसान को उसकी फसल का लाभकारी मूल्य मिला था।