जौनपुर, उत्तर प्रदेश में जौनपुर के सरांवा गांव स्थित शहीद लाल बहादुर गुप्त स्मारक पर हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकंन आर्मी और लक्ष्मीबाई ब्रिगेड के कार्यकर्ताओं ने नोबेल पुरस्कार विजेता और विश्व भारती विश्व विद्यालय के संस्थापक गुरुदेव रवीन्द्र नाथ टैगोर की पुण्यतिथि पर शनिवार को उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी।
इस अवसर पर कार्यकर्ताओं ने शहीद स्मारक पर गुरुदेव के चित्र पर माल्यार्पण किया और उनके व्यक्तित्व व कृतित्व पर प्रकाश डाला गया। शहीद स्मारक पर उपस्थित लोगो को संबोधित करते हुए लक्ष्मीबाई ब्रिगेड की अध्यक्ष मंजीत कौर ने कहा कि नोबेल पुरस्कार विजेता गुरूदेव ने देश के राष्ट्रगान की रचना की ,वहीं शांति निकेतन में विश्व भारती विश्व विद्यालय की स्थापना कर शिक्षा को बढ़ावा दिया । शांति निकेतन का मानवता सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण योगदान रहा है ।
गुरुदेव का कहना था कि शिक्षा से ज्ञान बढेगा और लोग विवेकवान होंगे ,मगर दुःख इस बात का है कि आज की शिक्षा ऐसी हो गयी है कि उसका वर्णन करना बहुत मुश्किल ही नही , कठिन भी है। गुरुदेव महान लेखक , विचारक , स्वतंत्रता सेनानी और बहुमुखी प्रतिभा के धनी व्यक्तित्व वाले महापुरुष थे , उन्होंने अपनी लेखनी से देश व समाज को बहुत कुछ दिया है ।
उन्होंने कहा कि देश के आजादी की लड़ाई के दौरान गुरुदेव ने दो गीत चित्तो जेठा भयशून्यों ( मन डर के बिना ) और एकला चलो रे ( अकेले चलो ) बहुत प्रचलित हुए । देशवासी ही नही ,अंग्रेज सरकार भी उनका बहुत सम्मान करतीं थी और उन्हें नाईट की पदवी भी दी गयी जिसे उन्होंने जलियावाला बाग नरसंहार के विरोध में लौटा दिया था । सुश्री कौर ने कहा कि गुरुदेव को पहला नोबेल पुरस्कार 1913 में उनकी पुस्तक गीतांजलि की रचना के लिए मिला था । गुरूदेव आज हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनकी कृतियां आज भी हमारी मार्गदर्शक बनी हैं । इस अवसर पर धरम सिंह , अनिरुद्ध सिंह , अनिरूद्ध सिंह, मैनेजर पांडेय , मंजीत कौर सहित अनेक लोग मौजूद रहे।