नई दिल्ली, राष्ट्रपति पद के लिए विपक्षी दलों की संयुक्त उम्मीदवार मीरा कुमार ने हैरानी जताते हुए कहा कि आखिर, राष्ट्रपति चुनाव में जाति को क्यों मुद्दा बनाया जा रहा है। उन्होंने निराशा जताते हुए कहा कि पहली बार देश के सर्वोच्च कार्यालय के लिए जाति को मुद्दा बनाया जा रहा है।
अपना नामांकन-पत्र दाखिल करने से एक दिन पहले पूर्व लोकसभा अध्यक्ष ने एक बार फिर कहा कि वह सामाजिक न्याय के मूल्यों, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, समावेशीकरण तथा जाति व्यवस्था के उन्मूलन के लिए लड़ेंगी। उन्होंने कहा, उच्च जाति वर्ग से ताल्लुक रखने वाले दो नेताओं के बीच भी पहले राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव हो चुका है, लेकिन उनकी जाति पर चर्चा नहीं की गई। इस बार जब दो दलित एक-दूसरे के खिलाफ लड़ रहे हैं, तो इसे लेकर हर जगह बहुत चर्चाएं हो रही हैं।
मेरा मानना है कि जाति को दफना दिया जाना चाहिए और इसे पूरी तरह से भुला दिया जाना चाहिए। मीरा कुमार ने कहा, लोकतांत्रिक मूल्य, सामाजिक न्याय, पारदर्शिता, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, समावेशीकरण, जाति प्रथा की समाप्ति, गरीबी का उन्मूलन उस विचारधारा का हिस्सा हैं, जो मेरे दिल के करीब है।
इसी वजह से मैं इस विचारधारा को साथ लेकर प्रतिस्पर्धा करूंगी। मीरा कुमार ने खुद को राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार के तौर पर चुने जाने के लिए 17 विपक्षी राजनीतिक दलों का आभार जताया। कुमार ने कहा कि उन्होंने दो दिन पहले लिखे पत्र में निर्वाचक मंडल के सभी सदस्यों से अपने लिए समर्थन मांगा है।