नई दिल्ली, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला , केंद्रीय मंत्रिपरिषद के विभिन्न सदस्यों , अनेक सांसदों और अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने बाबासाहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर जयंती के अवसर पर रविवार को उन्हें श्रद्धाजलि अर्पित की।
राष्ट्रपति श्रीमती मुर्मु ने संसद भवन परिसर में आयोजित समारोह में अंबेडकर प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की।
उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने भी इस अवसर पर डॉ. अंबेडकर की श्रद्धा सुमन अपर्तित किए । संसद भवन परिसर में आयोजित कार्यक्रम में भारतीय संविधान के मुख्य शिल्पी और समाज सुधारक डॉ अंबेडकर को श्रद्धांजलि अर्पित करने वालों में कई केंद्रीय मंत्री, संसद सदस्य, पूर्व संसद सदस्य, अनेक गणमान्य व्यक्ति और समाज के विभिन्न वर्गोँ से आए बहुत से लोग शामिल थे।
लोकसभा अध्यक्ष श्री बिरला, राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश, संसद सदस्यों और पूर्व संसद सदस्यों ने संविधान सदन के केंद्रीय कक्ष में आयोजित एक और कार्यक्रम में डॉ. अंबेडकर के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की। लोकसभा और राज्यसभा के महासचिवों क्रमशः उत्पल कुमार सिंह और पी सी मोदी ने भी संसद भवन के केंद्रीय कक्ष में डॉ. अंबेडकर को पुष्पांजलि अर्पित की।
लोक सभा सचिवालय की एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि डॉ. अंबेडकर ने भारत के सामाजिक और राजनीतिक परिदृश्य पर एक गहरा प्रभाव डाला। अपने दौर में सामाजिक न्याय के प्रखर पवक्ता के रूप में प्रसिद्ध डॉ. अंबेडकर को भारतीय समाज में उनके महत्वपूर्ण और विविध योगदान के लिए जाना जाता है। उनकी सबसे उल्लेखनीय उपलब्धि भारतीय संविधान की मसौदा समिति के अध्यक्ष के रूप में उनकी भूमिका है, जहां उन्होंने संविधान सभा में बहस के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्हें भारत के संविधान के पीछे प्रेरक शक्ति के रूप में सम्मानित किया जाता है, जिसने समावेशिता और न्याय के सिद्धांतों को सुनिश्चित किया ।
12 अप्रैल, 1990 को तत्कालीन प्रधान मंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह द्वारा संसद भवन के केंद्रीय कक्ष में डॉ. अंबेडकर के चित्र का अनावरण किया गया था।
डॉ. अंबेडकर की जयंती पर श्री बिरला ने एक ट्वीट संदेश में कहा, “ भारतीय संविधान के शिल्पकार, महान राष्ट्र निर्माता बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर जी की जयंती पर कोटि-कोटि नमन। बाबा साहेब का जीवन सामाजिक न्याय के लिए अद्वितीय संघर्ष का पर्याय है। वे समाज के शोषित–वंचित वर्ग की मुखर आवाज थे तथा उनके अधिकारों की रक्षा के लिए वे सदैव समर्पित रहे। संविधान के रूप में उन्होंने एक ऐसा प्रेरक मार्गदर्शक प्रदान किया जो सभी लोकतांत्रिक देशों के लिए आदर्श है। उनके कार्य आज भी हमारा पथ प्रदर्शित करते हैं। हमारा दायित्व है कि उनके बताए मार्ग पर चलते हुए समावेशी समाज की रचना और विकसित भारत के संकल्प की सिद्धि में अपनी भूमिका निभाएं।’’