हैदराबाद, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शुक्रवार को तेलंगाना के सिकंदराबाद में रक्षा प्रबंधन कॉलेज (सीडीएम) को राष्ट्रपति ध्वज प्रदान किया और सशस्त्र बलों के जवानों को विकसित करने में इसके महत्वपूर्ण योगदान को स्वीकार किया।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने सभा को संबोधित करते हुए भारतीय सेना, नौसेना, वायु सेना और तटरक्षक बल के अधिकारियों के साथ-साथ मित्र विदेशी देशों के वरिष्ठ अधिकारियों को प्रशिक्षित करने में कॉलेज की पांच दशक की उत्कृष्टता की विरासत की सराहना की। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय साझेदारी को मजबूत करने और एकीकृत संचालन के लिए जवानों को तैयार करने में संस्थान की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला।
राष्ट्रपति ने कहा, “यहां दी गई शिक्षा हमारे सशस्त्र बलों की परिचालन क्षमता को बढ़ाती है, जिससे उन्हें उभरती चुनौतियों से प्रभावी ढंग से निपटने में मदद मिलती है।”
उन्होंने महिला अधिकारियों की भागीदारी की प्रशंसा की और उन्हें देश भर की युवा महिलाओं के लिए प्रेरणा बताया। उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा पर प्रौद्योगिकी के परिवर्तनकारी प्रभाव पर जोर दिया और अधिकारियों से कृत्रिम बुद्धिमत्ता, साइबर युद्ध और अंतरिक्ष रक्षा प्रौद्योगिकियों जैसी प्रगति से अवगत रहने का आग्रह किया। उन्होंने आत्मनिर्भर भारत पहल के तहत स्वदेशी रक्षा विनिर्माण को बढ़ावा देने के केंद्र सरकार के प्रयासों को भी रेखांकित किया और रक्षा समुदाय से पूरे दिल से योगदान देने का आह्वान किया।
भारत की बढ़ती वैश्विक रक्षा उपस्थिति पर प्रकाश डालते हुए राष्ट्रपति ने रणनीतिक साझेदारी बनाने और वैश्विक शांति तथा स्थिरता में योगदान देने में देश के सक्रिय रुख का उल्लेख किया। उन्होंने ग्रे-ज़ोन और मनोवैज्ञानिक युद्ध सहित आधुनिक युद्ध की जटिलताओं के अनुकूल सशस्त्र बलों के कर्मियों को तैयार करने में सीडीएम के महत्व पर जोर दिया।
उन्होंने कहा “ हमारी रक्षा क्षमताएं न केवल हमारी सीमाओं को सुरक्षित करती हैं, बल्कि वैश्विक मंचों पर हमारे प्रभाव को भी मजबूत करती हैं। आत्मनिर्भरता और नवाचार पर ध्यान केंद्रित करके भारत खुद को अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में स्थापित कर रहा है।”
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के सपने को साकार करने में सशस्त्र बलों की क्षमता पर विश्वास व्यक्त किया और अधिकारियों को उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं दीं।