नयी दिल्ली, कांग्रेस ने कहा है कि मोदी सरकार की लापरवाही के कारण रेल यात्रा सबसे असुरक्षित तथा चुनौतीपूर्ण बन गयी है और रेल मंत्री का ध्यान रेल सुधार पर नहीं है, इसलिए उन्हें तुरंत बर्खास्त किया जाना चाहिए।
कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने मंगलवार को यहां पार्टी मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन में कहा कि रेल दुर्घटनाएँ तेजी से बढ़ रहीं हैं और सरकार इससे निपटने पर ध्यान नहीं दे रही है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के पास दो-दो राज्यों का प्रभार है और वह अपनी इन्हीं जिम्मेदारियां से नहीं निपट पा रहे हैं, इसलिए रेल सुरक्षा बड़ा मुद्दा बन गया है और श्री वैष्णव को तत्काल प्रभाव से बर्खास्त किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा, “देश में लगभग हर व्यक्ति का रेल से जुड़ाव रहा है। लोगों की रेल से जुड़ी अपनी यादें रहीं हैं। क्योंकि रेल हिंदुस्तान की जीवन रेखा है। यह आवागमन का एक सस्ता साधन था और लोगों को विश्वास था कि वो गंतव्य तक पहुंच जाएंगे। लेकिन आज यात्री के मन में शंका रहती है कि गंतव्य तक वो पहुंचेगा या उसकी अर्थी। ये कीर्तिमान नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार ने स्थापित किया है।”
श्रीमती श्रीनेत ने मोदी सरकार में हुए रेल हादसों का विवरण देते हुए कहा, “ठीक एक साल पहले, जून 2023 में बालासोर रेल हादसे में 296 लोगों की मौत और 900 से ज़्यादा बुरी तरह घायल हुए। अब पश्चिम बंगाल में फिर एक रेल हादसा हुआ जिसमें 15 लोगों की मौत और करीब 40 लोगों के घायल होने की खबर है। पिछले 10 साल में 1,117 रेल दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें जान-माल का नुकसान हुआ। यानी हर महीने 11 हादसे हुए। हर 3 दिन में एक हादसा हुआ। सवाल है कि एक साल में क्या बदला।”
प्रवक्ता ने कहा कि जब से मोदी सरकार सत्ता में आई है, रेल दुर्घटनाएं बढ़ी हैं। उन्होंने कहा, “2014 के बाद से बड़े रेल हादसों की लिस्ट में 26 मई 2014 गोरखधाम एक्सप्रेस 25 लोगों की मौत 50 से ज्यादा घायल, 20 नवंबर 2016 इंदौर-पटना एक्सप्रेस 150 लोगों की मौत 150 से ज्यादा लोग घायल, 18 अगस्त 2017 पुरी-हरिद्वार उत्कल एक्सप्रेस 23 लोगों की मौत 60 घायल, 23 अगस्त, 2017 कैफियत एक्सप्रेस 70 लोग घायल, 13 जनवरी 2022 बीकानेर-गुवाहाटी एक्सप्रेस 9 लोगों की मौत 36 घायल, 2 जून 2023 बालासोर रेल हादसा 296 लोगों की मौत 900 से ज्यादा घायल, 17 जून 2024 कंचनजंगा एक्सप्रेस 15 लोगों की मौत। इस देश में पहले रेल हादसे की नैतिक जिम्मेदारी ली जाती थी, लेकिन आज हिंदुस्तान का रेल मंत्री ‘रील मंत्री’ बना हुआ है।”
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार में रेल मंत्रालय का बजट आम बजट में मिला कर पेश किया जाने लगा । इससे साफ होता है कि मोदी सरकार के लिए रेल प्राथमिकता नहीं है और उनके रेल मंत्री रेल में सुधार के बजाय पार्टी के सुधार के कार्यों में लगे हैं, इसलिए उन्हें पद से तुरंत हटा दिया जाना चाहिए।