कानपुर, पूर्व भारतीय कप्तानों सुनील गावस्कर और कपिल देव ने आज कहा कि लोढा समिति की कुछ सिफारिशें काफी कड़ी हैं जिसमें एक राज्य एक वोट और प्रशासकों के लिए तीन साल का ब्रेक शामिल है। गावस्कर और कपिल से पहले पूर्व कप्तान रवि शास्त्री भी यही प्रतिक्रिया दे चुके हैं जिन्होंने विवादास्पद मुद्दों को सुलझाने के लिए लोढा समिति और बीसीसीआई के बीच बातचीत की वकालत की थी। इन दोनों दिग्गजों का मानना है कि काम करने और नियंत्रण के लिए बीसीसीआई का ढांचा अलग तरह का है और इसलिए समिति की सारी सिफारिशें उसके लिए शायद फायदेमंद नहीं हों। गावस्कर ने कहा, जो तीन भद्रजन समिति में शामिल थे और सिफारिशें दी मैं उनका पूरा सम्मान करता हूं। मुझे लगता है कि एक राज्य एक वोट उन संघों के लिए कुछ कड़ा है जो बोर्ड के संस्थापक सदस्य हैं। अगर आप इंग्लैंड जाओगे तो देखोगे कि सभी काउंटी इंग्लिश काउंटी चैम्पियनशिप में नहीं खेलती। आस्ट्रेलिया की प्रथम श्रेणी चैम्पियनशिप शेफील्ड शील्ड में भी सभी राज्य नहीं खेलते। इसलिए प्रत्येक राज्य के रणजी ट्राफी खेलने से क्रिकेट के स्तर में कमी आएगी और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हमें मदद नहीं मिलेगी। भारत और न्यूजीलैंड के बीच यहां चल रहे पहले क्रिकेट टेस्ट के दौरान जब साथी कमेंटेटर संजय मांजरेकर ने लोढा समिति की सिफारिशों पर नजरिया जानना चाहा तो गावस्कर ने कहा, फिलहाल ऐसा किया गया है कि जहां टीमें जूनियर स्तर पर खेल रही हैं वहां अगर आप अच्छा कर रहे हैं तो आपको आगे के स्तर पर भेजा जा रहा है। जैसे कि छत्तीसगढ़ ने जूनियर स्तर पर अच्छा किया और फिर उसे प्रमोट किया गया और यही काम करने का तरीका है। आप राज्यों को रणजी ट्राफी में सीधे प्रवेश नहीं दे सकते।