लखनऊ, शिक्षित समाज के लिए अच्छे शिक्षकों की जरूरत पर बल देते हुये राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने कहा कि विश्वविद्यालयों को अधिक से अधिक जनकल्याण के अनुसंधान करने पर जोर देना चाहिये।
बाबा साहब भीमराव अंबेडकर केन्द्रीय विश्वविद्यालय के 10वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुये श्रीमती मुर्मू ने कहा कि डॉ भीमराव अम्बेडकर के नाम पर केन्द्रीय विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में शामिल होना उनके लिए सौभाग्य की बात है। यह डॉ अम्बेडकर की ही देन है कि आज वह सभी के सामने खड़ी हैं। वे उनके लिए ईश्वर के समान हैं।
राष्ट्रपति ने अच्छी शिक्षा के लिए अच्छे शिक्षकों की आवश्यकता पर जोर देते हुए विद्यार्थियों से शिक्षक और प्रोफेसर बनने आग्रह किया, ताकि एक सशक्त देश का निर्माण हो सके। अपने संबोधन में उन्होंने ग्लोबल इन्वेस्टर मीट की चर्चा करते हुए शिक्षा को उद्योगों और व्यापार के वातावरण से जोड़ने का आग्रह किया और कहा कि विश्वविद्यालयों को अधिक से अधिक जनकल्याण के अनुसंधान करने पर जोर देना चाहिये। राष्ट्रपति ने उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए इन्क्यूबेशन सेंटर स्थापित करने की बात कही। भारत को विश्व के तीसरे सबसे बड़े स्टार्टअप इकोसिस्टम के रूप में विकसित होने की बात को प्रमुखता से उजागर करते हुए राष्ट्रपति ने शिक्षण संस्थानों से इस मौके का पूरा लाभ उठाने की बात कही तथा रिसर्च और इन्नोवेशन के लिए विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करने, कौशल आधारित शिक्षा प्रदान करने का आह्वान किया।
उन्होंने बिरसा मुंडा एक्टिविटी सेंटर के बारे में बात करते हुए कहा कि बिरसा मुंडा का पूरा जीवन विद्यार्थियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है, उनके नाम पर बना यह सेंटर विद्यार्थियों के संपूर्ण विकास में योगदान करेगा। इस अवसर पर राष्ट्रपति ने विवि के नवनिर्मित बिरसा मुंडा स्टूडेंट एक्टिविटी सेंटर का उद्घाटन भी किया।
राष्ट्रपति ने कुल 10 विद्यार्थियों को पदक प्रदान किये। इसके अलावा दो मेधावियों को आरडी सोनकर अवार्ड तथा 3808 विद्यार्थियों को उपाधियां प्रदान की गयी।
श्रीमती मुर्मू ने कहा कि आज गोल्ड मेडल प्राप्त करने वाले मेधावियों में 60 प्रतिशत संख्या छात्राओं की है, मैं इन बेटियों की विशेष सराहना करती हूं। उन्होंने उपाधि प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए अपने लक्ष्य पर अडिग रहने तथा लक्ष्य प्राप्ति के लिए अपनी पूरी क्षमता का उपयोग करने का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि बाबासाहेब का पूरा जीवन संघर्षों से भरा था मगर फिर भी कठिन परिश्रम और मूल्य आधारित जीवन शैली अपनाकर उन्होंने उच्च शिक्षा हासिल की और आज समाज उन्हें भारत के संविधान शिल्पी के रूप में याद करता है। उनके जीवन और सिद्धांतों से प्रेरणा लेते हुए, उनके दिखाए मार्ग पर चलकर विद्यार्थी कठिन से कठिन लक्ष्य साध, सफलता प्राप्त कर सकते हैं।
इस अवसर पर प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल, उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय, विवि के कुलाधिपति डॉ प्रकाश सी बरतुनिया उपस्थित थे।