नयी दिल्ली, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने रविवार को कहा कि अमृत काल में भारत की प्रतिष्ठा और सम्मान में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है और विश्व वैश्विक चुनौतियों के समाधान के लिए भारत की ओर अपेक्षा से देख रहा है।
ओम बिरला ने आज नये संसद भवन के उद्घाटन के मौके पर अपने सम्बोधन में कहा,“ भारत विश्व का प्राचीनतम लोकतंत्र है। संपूर्ण विश्व में लोकतंत्र की जननी के रूप में हमारी पहचान है। आज़ादी के बाद भारत की लोकतांत्रिक प्रक्रियाएं तथा परम्पराएं और अधिक सशक्त हुई हैं। हमारी निर्वाचन प्रक्रिया के कुशल, पारदर्शी एवं विश्वसनीय प्रबंधन के कारण लोगों का विश्वास हमारे लोकतंत्र में निरंतर बढ़ा है।”
उन्होंने कहा कि इस अमृत काल में संसदीय लोकतंत्र की यात्रा में विश्व में भारत की प्रतिष्ठा और सम्मान में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। आज संपूर्ण विश्व लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रसार के साथ साथ वैश्विक चुनौतियों के समाधान के लिए भारत की ओर अपेक्षा से देख रहा है। भारत की संसद लोकतांत्रिक व्यवस्था का सर्वोच्च श्रद्धा का केंद्र है। लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में जनता की बढ़ती भागीदारी इस सत्य को रेखांकित करती है।
उन्होंने कहा कि आज़ादी के अमृतकाल में संपूर्ण राष्ट्र आज इस महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक पल का साक्षी बन रहा है। उन्होंने कहा कि वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को साधुवाद देना चाहते हैं, जिनके दृढ़ संकल्प और प्रेरक मार्गदर्शन से संसद का यह नया भवन ढाई वर्ष से भी कम अवधि में बनकर तैयार हो गया है। उन्होंने उन हजारों श्रमिक बहनों और भाइयों को भी नमन करते हुए कहा कि उनकी निरंतर श्रम-साधना और कठिन परिश्रम से ही यह भगीरथ प्रयास पूरा हो पाया है।
उन्होंने कहा,“ पिछले सात दशकों में संसद के अंदर हमारे विद्वान नेताओं और सांसदों की उत्कृष्ट चर्चा और संवाद से नागरिकों की समस्याओं का समाधान किया गया और देश में अनेक महत्वपूर्ण क़ानूनों का निर्माण हुआ। इससे लोगों के सामाजिक आर्थिक जीवन में व्यापक परिवर्तन आया है और हमारा लोकतंत्र और अधिक सशक्त हुआ है।”
ओम बिरला ने कहा,“ लोकतंत्र, हमारे इतिहास की बहुमूल्य धरोहर है, लोकतंत्र हमारे वर्तमान की ताकत है, लोकतंत्र हमारे स्वर्णिम भविष्य का आधार है। हमारी संसद, घरेलू और वैश्विक चुनौतियों को अवसर में बदलने का सामर्थ्य रखती है।विविधता में एकता भारत की शक्ति है। यही शक्ति संसद में दृष्टिगत होती है जहां क्षेत्रीय तथा विचारधारा की विभिन्नता के बावजूद सांसदगण राष्ट्रहित के विषयों पर एक स्वर में अपनी बात रखते हैं। यही हमारे लोकतंत्र की ताकत है।”
उन्होंने कहा,“ हमारा वर्तमान संसद भवन, भारत की स्वतंत्रता प्राप्ति तथा संविधान निर्माण से लेकर अनेक ऐतिहासिक घटनाओं का साक्षी रहा है इसलिए अपनी इस अनमोल धरोहर को संभाल कर रखना हमारा दायित्व है। हमारे इतिहास की एक महत्वपूर्ण धरोहर ‘सेंगोल’ को अध्यक्षपीठ के समीप स्थापित करके प्रधानमंत्री ने ऐतिहासिक परंपराओं के सम्मान एवं न्यायपूर्ण एवं निष्पक्ष शासन के प्रति अपने संकल्प को दोहराया है। यह नवनिर्मित भवन हमारी समृद्ध संस्कृति, प्राचीन विरासत एवं हमारी आधुनिक आकांक्षाओं का अद्भुत संगम है। नए भवन में सदस्यगण नई तकनीक और प्रौद्योगिकी का उपयोग करके अपनी कार्यकुशलता में वृद्धि कर सकेंगे। नए वातावरण में नए विचारों का सृजन होगा, ऐसा मेरा विश्वास है।”
लोकसभा अध्यक्ष ने कहा ,“ हमारे नए भवन में ऊर्जा संरक्षण, जल संरक्षण, ग्रीन टेक्नोलॉजी और पर्यावरण अनुकूलता की विशिष्टता का समागम है। यह भवन वास्तु शिल्प, कला और संस्कृति का अद्भुत उदाहरण है। इसमें संपूर्ण भारत की उत्कृष्ट व विविधतापूर्ण सांस्कृतिक विरासत के दर्शन होंगे। इस भवन में प्रत्येक भारतीय को अपने राज्य की संस्कृति की झलक दिखेगी। मुझे पूर्ण विश्वास है कि नए वातावरण में हम सब मिल कर और अधिक ऊर्जा के साथ, रचनात्मक व सकारात्मक चर्चा के माध्यम से एक श्रेष्ठ और विकसित भारत का निर्माण कर सकेंगे।”