नयी दिल्ली, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को कहा कि संतों ने देश को एक तथा श्रेष्ठ बनाने के संकल्प को मिशन के रूप में लिया है फिर चाहे सैकड़ों साल पहले आदि शंकराचार्य हों या आधुनिक काल में स्वामी विवेकानंद, संत परंपरा हमेशा एक भारत, श्रेष्ठ भारत का उद्घोष करती रही है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वामी आत्मस्थानानंद जी के जन्म शताब्दी कार्यक्रम को रविवार को वीडियो कांफ्रेन्स के जरिये संबोधित करते हुए कहा , “ सैकड़ों साल पहले आदि शंकराचार्य हों या आधुनिक काल में स्वामी विवेकानंद, हमारी संत परंपरा हमेशा ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ का उद्घोष करती रही है। रामकृष्ण मिशन की तो स्थापना ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ के विचार से जुड़ी हुई है। स्वामी विवेकानंद ने इसी संकल्प को मिशन के रूप में जिया था। उनका जन्म बंगाल में हुआ था। लेकिन आप देश के किसी भी हिस्से में जाइए, आपको ऐसा शायद ही कोई क्षेत्र मिलेगा जहां विवेकानंद जी गए न हों, या उनका प्रभाव न हो।”
प्रधानमंत्री ने कहा, “ स्वामी आत्मस्थानानन्द जी को श्री रामकृष्ण परमहंस के शिष्य, पूज्य स्वामी विजनानन्द जी से दीक्षा मिली थी। स्वामी रामकृष्ण परमहंस जैसे संत का वो जाग्रत बोध, वो आध्यात्मिक ऊर्जा उनमें स्पष्ट झलकती थी। रामकृष्ण मिशन की इसी परंपरा को स्वामी आत्मस्थानानन्द जी ने अपने पूरे जीवन आगे बढ़ाया। उन्होंने देश के अलग-अलग हिस्सों में अपना जीवन खपाया, अनेक काम किए, और जहां भी वो रहे, वहां पूरी तरह रच बस गए।”
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा संन्यास का अर्थ है स्वयं से ऊपर उठकर समष्ठि के लिए कार्य करना, समष्ठि के लिए जीना। स्व का विस्तार समष्ठि तक। सन्यासी के लिए जीव सेवा में प्रभु सेवा को देखना, जीव में शिव को देखना यही तो सर्वोपरि है। उन्होंने कहा कि इस महान संत परंपरा को, सन्यस्थ परंपरा को स्वामी विवेकानंद जी ने आधुनिक रूप में ढाला। स्वामी आत्मस्थानानन्द जी ने संन्यास के इस स्वरूप को जीवन में जिया, और चरितार्थ किया। उनके निर्देशन में बेलूर मठ और श्री रामकृष्ण मिशन ने भारत ही नहीं बल्कि नेपाल, बंगलादेश जैसे देशों में भी राहत और बचाव के अद्भुत अभियान चलाए। उन्होंने निरंतर ग्रामीण क्षेत्रों में जन कल्याण के लिए काम किया, इसके लिए संस्थान तैयार किए। आज ये संस्थान गरीबों को रोजगार और जीवन यापन में लोगों की मदद कर रहे हैं।