नई दिल्ली, संसद के शीतकालीन सत्र के आखिरी दिन शुक्रवार को कांग्रेस सहित विपक्षी पार्टियों के नेता नोटबंदी के खिलाफ राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मुलाकात करने पहुंचे। विपक्षी दलों का कहना है कि नोटबंदी के बाद से आम आदमी को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है और संसद में विपक्ष को बोलने नहीं दिया गया। गुरुवार को राज्यसभा में नेता विपक्ष गुलाम नबी आजाद की अगुवाई में सभी 16 पार्टियों के प्रतिनिधियों की हुई बैठक में विपक्ष का कहना था कि सरकार ने नोटबंदी पर अपनी नाकामी छुपाने के लिए संसद में बहस नहीं होने दी है।
इसलिए राष्ट्रपति से इस बात की शिकायत की जाएगी कि सत्तापक्ष ने संसद में विपक्ष को उसके बोलने के लोकतांत्रिक अधिकार से रोका है। इन नेताओं ने यह भी कहा कि राष्ट्रपति का ध्यान दिलाया जाएगा कि नोटबंदी से पूरे देश में आमलोगों की हालात खराब है और इतने अहम मुद्दे पर संसद में चर्चा नहीं होने देना बेहद गंभीर मसला है। इस बैठक में टीएमसी, एनसीपी, सपा, बसपा, राजद, द्रमुक आदि दलों के नेता मौजूद थे। राष्ट्रपति का दरवाजा खटखटाने की बनी योजना के तहत विपक्ष संसद भवन के बाहर विजय चौक से राष्ट्रपति भवन तक पैदल मार्च कर सकता है।
शीतकालीन सत्र के आखिरी दिन गुरुवार को लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही शुरू हुई। नोटबंदी पर हंगामे के बीच राज्यसभा अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गई। वहीं, खबर लिखे जाने तक लोकसभा में बहस जारी थी। बता दें कि दोनों सदनों में लगातार हंगामे से भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी को गुस्सा आ गया और उन्होंने कहा कि उन्हें लगता है कि वह संसद से इस्तीफा दे दें, क्योंकि यह कभी खत्म न होने वाला नरक बना हुआ है।