दावोस, वैश्विक अर्थव्यवस्था में कुछ तबकों द्वारा हर व्यक्ति के लिए एक न्यूनतम आय सुनिश्चित करने पर जोर के साथ नीति आयोग के मुख्य कार्यपालक अधिकारी अमिताभ कांत ने बुधवार को कहा कि इस प्रकार का कोई भी भुगतान केवल लौटाए जाने वाले कर्ज के रूप में होना चाहिए। कुछ देशों ने इस धारणा पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है। ऐसी चर्चा है कि भारत भी इस प्रकार के कदम पर विचार कर सकता है। हालांकि इस बारे में आधिकारिक रूप से अभी कुछ नहीं कहा गया है। विश्व आर्थिक मंच डब्ल्यूईएफ की सालाना बैठक में कांत ने कहा, सभी व्यक्ति के लिए एक न्यूनतम आय उपलब्ध कराया जाना चाहिए लेकिन यह उत्पादक उद्देश्य के लिए हो और कर्ज के रूप में हो जिसे लौटाया जा सके। उन्होंने सभी को न्यूनतम आय सपना या भ्रम विषय पर आयोजित एक परिचर्चा में यह बात कही।
इस परिचर्चा में इस बात पर चर्चा की गई कि दुनिया के कार्य में बुनियादी बदलाव से परंपरागत सामाजिक सुरक्षा खत्म हो रहा है और क्या सभी के लिए न्यूनतम आय सुनिश्चित करना इसका समाधान हो सकता है। प्रौद्योगिकी नवप्रवर्तन तथा यंत्रीकरण से रोजगार कम हो सकते हैं, ऐसे में सभी को न्यूनतम आय का विचार जोर पकड़ रहा है। इस विचार के लागू होने का मतलब होगा कि लोगों को एक निश्चित राशि आय के रूप में मिलेगी ही। फिनलैंड ने इस धारणा पर प्रयोग शुरू किया है और अन्य देश भी इसे लागू कर सकते हैं। पिछले साल स्विट्जरलैंड में मतदाताओं ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया।