लखनऊ, लखनऊ में राजनीतिक गलियारें के चक्कर लगाने और अपने टिकट के लिये दावेदारी करने वाले लोगों में कई चेहरों को प्रत्याशी बनने का मौका नही मिला है। इससे समाजवादी पार्टी में असंतुष्ट नेताओं की भरमार है और क्रम में बसपा दूसरे तो भाजपा तीसरे स्थान पर है। समाजवादी पार्टी के जिला कार्यालय और महानगर कार्यालय कैसरबाग में स्थित है। बावजूद शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों से टिकट की दावेदारी करने वालों की संख्या मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के आवास के बाहर व समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव के आवास के बाहर ज्यादातर के दिखायी देती रही है।
समाजवादी पार्टी के लखनऊ में टिकट की घोषणा के बाद मध्य सीट, कैण्ट और लखनऊ पश्चिम सीटों पर अपने दावे पेश करने वाले नेताओं के चेहरों पर निराशा रही तो असंतुष्ट नेताओं के समर्थकों ने सपा के प्रमुख नेताओं से अपना विरोध भी दर्ज कराया है। इसमें से अधिकांश खुद को अखिलेश यादव के निकटस्थ बताते रहे है। यहीं कारण है कि समाजवादी पार्टी के महानगर अध्यक्ष फाकिर सिद्दीकीऔर जिला अध्यक्ष अशोक यादव सुबह से देर रात्रि तक मंडल व वार्डो में कार्यकर्ताओं के साथ बैठकें कर रहे है। अभी तक कुछ जल्दी में रही बहुजन समाज पार्टी ने अपने प्रत्याशी पहले ही घोषित कर दिये थे। बसपा के ग्रामीण क्षेत्र की सरोजनी नगर सीट पर शिवशंकर सिंह उर्फ शंकरी सिंह और शहर में पूर्वी सीट पर सरोज शुक्ला के टिकट घोषित होते ही वहां संगठन के पदाधिकारियों ने डेरा डाल दिया और नाराजगी जाहिर करने वाले नेताओं व कार्यकर्ताओं को समझाने बुझाने में जुट गये। वहीं बसपा जिलाध्यक्ष हरीकिशन गौतम अपने पार्टी के राष्ट्रीय नेताओं के साथ तालमेल बैठाकर पांचों विधानसभा में प्रमुख बसपा कार्यकर्ताओं के साथ हर घंटे वार्ता करने और योजना तैयार करने में लगे हुये है।
भारतीय जनता पार्टी ने लखनऊ मध्य से बृजेश पाठक, कैण्ट से रीता बहुगुणा जोशी और उत्तर विधानसभा से डा. नीरज बोरा को प्रत्याशी बनाया है। तीनों ही नेताओं को भाजपा में नये सदस्य के रूप में माना जा रहा है लेकिन सक्रिय कार्यकर्ताओं और प्रमुख नेताओं ने तीनों के ही टिकट स्वागत किया है। वहीं लखनऊ पश्चिम सीट पर प्रत्याशी घोषित हुये सुरेश श्रीवास्तव को पुनः टिकट मिलने पर वहां से दावेदारी किये हुये दो चेहरों के समर्थकों में निराशा है तो असंतुष्ट दोनों ही नेताओं के कोई भी बयान आने बंद हो गये है। बसपा, सपा और भाजपा के अलावा कांग्रेस व अन्य प्रमुख दलों में असंतुष्ट नेताओं की संख्या बहुत है। जिसको लेकर विभिन्न राजनीतिक दलों में हलचल बढ़ी है। कुछ समय पूर्व में कौमी एकता दल का समाजवादी पार्टी में विलय हुआ था, लेकिन सपा में बदले परिदृश्य के कारण कौमी एकता दल के प्रमुख नेता लगातार बसपा के सतीश चन्द्र मिश्रा के सम्पर्क में बने हुये है। भारतीय समाज पार्टी का भाजपा के साथ गठबंधन हुआ है और उसने सात सीटों पर अपने प्रत्याशी लड़ाने की योजना रचना की है। इन सीटों पर भाजपा से भी टिकट के दावेदार थे, जो अब बेहद असंतुष्ट है और जिससे भासपा की जीत की राह अभी मुश्किल है।