नई दिल्ली, डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए वित्त मंत्रालय ने आज सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों से कहा कि वे इंटरनेट बैंकिंग के चार्ज कम करें।
मंत्रालय ने बैंकों से कहा कि आईएमपीएस और यूपीआई के माध्यम से भुगतान पर लिए जाने वाले शुल्क को उसी स्तर पर रखा जाये जितना कि एनईएफटी से 1000 रुपए से अधिक का धन हस्तांतरित करने पर लगता है। रिजर्व बैंक के नियमों के अनुसार 10,000 रुपये तक के एनईएफटी हस्तांतरण पर ढाई रुपये का शुल्क लगता है। इसके बाद 10,000 से एक लाख रुपये तक के लेनदेन पर पांच रुपए, एक से दो लाख रुपये के लिए 15 रुपये और दो लाख रुपये से ज्यादा पर 25 रुपये का सेवा शुल्क लिया जाता है। इसके अलावा अनस्ट्रक्चर्ड सप्लीमेंट्री सर्विस डाटा (यूएसएसडी) के माध्यम से 1,000 रुपये से ज्यादा का धन भेजने पर मंत्रालय ने कहा है कि इन दरों में 50 पैसे की और छूट दी गई है। यूएसएसडी के माध्यम से फीचर फोनों पर बैंकिंग लेनदेन किए जाते हैं। यह लघु संदेश सेवा होती है। यूएसएसडी के माध्यम से लेनदेन पर डेढ़ रुपये का शुल्क लगता है जिसे 30 दिसंबर तक के लिए हटा लिया गया है। एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि डिजिटल और कार्ड से भुगतान को बढ़ावा देने के लिए मंत्रालय ने जनहित में सभी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों से यह बात कही है।