नई दिल्ली, देश में सरकारी भवनों में चल रही करीब तीन लाख आंगनवाड़ियों में शौचालय और सवा लाख में पेयजल की सुविधा नहीं होने को गंभीरता से लेते हुए संसद की एक समिति ने इसके लिए एकीकृत बाल विकास सेवाएं (आईसीडीएस) योजना का आवंटन बढ़ाने को कहा है। संसद में पेश एक रिपोर्ट के अनुसार देश में तीन लाख 11 हजार आंगनवाड़ियां ऐसी है जो सरकारी भवनों में चल रही है। इनमें से दो लाख 86 आंगनवाड़ियों में शौचालय और एक लाख 25 हजार में पेयजल की सुविधा नहीं है।
समिति ने कहा है कि इन आंगनवाड़ियों में ये आधारभूत सुविधाएं बढ़ाने के लिए आवंटन बढ़ाने की जरूरत है। देश की कुल आंगनवाड़ियों में से 70.12 प्रतिशत में पेयजल और 60.01 प्रतिशत में शौचालय सुविधा उपलब्ध है। राजस्थान में सर्वाधिक 50.82 प्रतिशत, हरियाणा में 46.25 प्रतिशत, जम्मू कश्मीर में 45.91 प्रतिशत, उत्तराखंड में 44.66 प्रतिशत, आंध, प्रदेश में 43.68 प्रतिशत, तेलंगाना में 40.40 प्रतिशत, कर्नाटक में 40.31 प्रतिशत, अरुणाचल प्रदेश में 29.45 प्रतिशत, छत्तीसगढ में 34.79 प्रतिशत, मणिपुर में 24.66 प्रतिशत और बिहार में 36.79 आंगनवाड़ियों में पेयजल उपलब्ध है।
इसी प्रकार राजस्थान में 27.73 प्रतिशत, ओडिशा में 46.10 प्रतिशत, जम्मू कश्मीर में 44.11 प्रतिशत, असम में 47। 23 प्रतिशत, आंध, प्रदेश में 37.29 प्रतिशत, तेलंगाना में 21.32 प्रतिशत, झारखंड में 31.50 प्रतिशत, अरुणाचल प्रदेश में 50.48 प्रतिशत, छत्तीसगढ में 42.08 प्रतिशत, मणिपुर में 31.51 प्रतिशत और दमन एवं दीव हवेली में 48.68 आंगनवाड़ियों में शौचालय उपलब्ध हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि छह वर्ष तक बच्चों, गर्भवती महिलाओं और दुग्धपान कराने वाली माताओं के पोषण और स्वास्थ्य के लिए आईसीडीएस योजना आवश्यक है।
यह बच्चों के लिए शारीरिक, सामाजिक और मानसिक विकास के लिए भी जरूरी है। समिति ने कहा है कि मंत्रालय की मांग की तुलना में वित्त वर्ष 2017-18 के अनुमानित बजट में आवंटन 15 प्रतिशत घटाया गया है। इससे योजना को लागू करने में धन की कमी हो सकती है। फिलहाल देश में कुल 14 लाख से अधिक आंगनवाड़ी मंजूर है। जिनमें से 13 लाख 49 हजार संचालित हो रही है। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने कहा कि वित्त मंत्रालय से नयी आंगनवाड़ियां बनाने और पुरानी आंगनवाड़ियों में शौचालय एवं पेयजल सुविधा उपलब्ध कराने के लिए अतिरिक्त 12 हजार 612 करोड़ रुपए की मांग की है।
यह राशि वित्त वर्ष 2019-20 तक व्यय की जाएगी। आंकडों अनुसार 80.75 प्रतिशत आंगनवाड़ियां पक्के भवनों में चल रही है जबकि 19.25 प्रतिशत आंगनवाड़यिां कच्चे भवनों से संचालित हो रही है। इसके अलावा 30.78 प्रतिशत आंगनवाड़ियों सरकारी भवनों में, 21.16 आंगनवाड़ियां विद्यालय परिसरों में, 5.03 प्रतिशत आंगनवाड़ियां पंचायत भवनों में और 33.31 प्रतिशत आंगनवाड़ियां किराए के भवनों में चल रही है।