गोण्डा, उत्तर-प्रदेश में गोण्डा जिले के कर्नलगंज क्षेत्र में बह रही सरयू नदी में कछुआ संरक्षण अभियान के तहत जिलाधिकारी नेहा शर्मा नें नौ प्रजातियों को नदी में बुधवार को छोड़ा ।
इस संबंध में जानकारी देते हुये जिला वनाधिकारी पंकज कुमार शुक्ल नेे बताया कि घड़ियाल पुनर्वास केंद्र लखनऊ के तत्वावधान में करनैलगंज में स्थित सरयू नदी में आज कछुआ विमोचन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में जिलाधिकारी नेहा शर्मा एवं मुख्य विकास अधिकारी अंकिता जैन ने प्रतिभाग कर सरयू नदी के पारिस्थितिक संतुलन को मजबूत करनें और कछुओं के महत्व पर जागरूकता बढ़ानें को लेकर जोर दिया ।
उन्होंने बताया कि विमोचन कार्यक्रम के दौरान विभिन्न प्रकार के नौ प्रजातियों के 93 कछुए नदी में छोड़े गए, जिनकी उपस्थिति से नदी की जैव विविधता को संरक्षित रखने एवं पर्यावरण को संतुलित करने में सहायता मिलेगी।
विमोचन कार्यक्रम के दौरान सरयू नदी करनैलगंज में नौ प्रजातियों के 93 कछुए नदी में छोड़ा गया, इसमें भारतीय स्टार टर्टल, पेंटेड टर्टल, स्पॉटेड फ्लैपशेल टर्टल, गंगा साफ्टशेल टर्टल, रेड-ईयर्ड स्लाइडर, और अन्य महत्वपूर्ण प्रजातियो को शामिल किया है। सभी प्रजाति का सरयू नदी के पारिस्थितिकी तंत्र में अपना-अपना अलग महत्व है।
यह प्रजाति गंगा और उसकी सहायक नदियों में आमतौर पर पायी जाती है। ये अपने खाने में मछलियों और छोटे जलीय जीवों को खाकर जल को स्वच्छ रखने में सहायता करती है। कछुए जल पर्यावरण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उनकी उपस्थिति नदियों और अन्य जलाशयों के जैविक स्वास्थ्य का संकेत होती है। कछुए नदी में न केवल जल को स्वच्छ रखते हैं, बल्कि अन्य छोटे जलीय जीवों की संख्या को भी नियंत्रित करते हैं।
कछुओं का पारिस्थितिकी तंत्र पर गहरा प्रभाव होता है, क्योंकि वे जलाशयों के तल पर उपस्थित पत्तियों, मृत जीवों, और अन्य जैविक तत्वों को खाकर जल को स्वच्छ बनाए रखते हैं।