दिल्ली, सुप्रीम कोर्ट ने सहारा चिटफंड मामले की सुनवाई करते हुए उसके मुंबई स्थित एम्बी वैली टाउनशिप प्रॉजेक्ट को नीलाम करने का आदेश दे दिया है. सहारा प्रमुख 13 अप्रैल तक सेबी के पास 5,092 करोड़ रुपये नहीं जमा कर पाए.
एम्बी वैली देश की पहली प्लान्ड लग्जरी हिल सिटी है। यहां बने एक-एक विला की कीमत 30 से 40 करोड़ रुपए है. यह लोनावाला से 23 किलोमीटर दूर है. इसमें 3 मैनमेड लेक हैं। कुल 11 वाटर बॉडीज हैं. इनके अलावा यहां गोल्फ कोर्स, स्पेनिश कॉटेज, इंटरनेशनल स्कूल, प्ले ग्राउंड, फॉर्च्यून फाउंटेन है.यहां वाटर स्पोर्ट्स और स्काई डायविंग जैसी फैसिलिटीज भी हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने यहां तक कहा कि आपको पैसा जमा कराने के लिए बहुत वक्त दिया जा चुका है, और अगर आप पैसा नहीं दे रहे हैं, तो आप जेल जाइए. इसके अलावा सुब्रत रॉय को 27 अप्रैल को कोर्ट में पेश होने का आदेश भी दिया गया है, और कोर्ट ने कहा है कि वह उसी दिन यह तय करेगा कि सहारा प्रमुख को जेल भेजा जाए या जमानत दी जाए. कोर्ट ने सहारा प्रमुख से साफ कहा कि अगर आपको आज़ादी चाहिए, तो रुपये चुकाइए.
सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के ऑफिसर लिक्विडेटर को संपत्ति के आकलन और नीलामी की प्रक्रिया शुरू करने के आदेश दिए, और सहारा प्रमुख से संपत्ति का ब्योरा 48 घंटे में ऑफिसर लिक्विडेटर को सौंपने के लिए कहा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बॉम्बे हाईकोर्ट का यह ऑफिसर लिक्विडेटर सीधे सुप्रीम कोर्ट को रिपोर्ट करेगा. सुप्रीम कोर्ट ने साफ-साफ कहा कि ‘Enough is Enough’. दरअसल, सहारा को सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार 13 अप्रैल तक सेबी-सहारा खाते में 5,092 करोड़ रुपये जमा कराने थे.
सहारा ग्रुप की 2 कंपनियों-सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉरपोरेशन लिमिटेड (SIRECL) और सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (SHICL) ने रियल एस्टेट में इन्वेस्टमेंट के नाम पर 3 करोड़ से ज्यादा इन्वेस्टर्स से 17,400 करोड़ रुपए जुटाए थे. सितंबर, 2009 में सहारा प्राइम सिटी ने आईपीओ लाने के लिए सेबी के पास दस्तावेज जमा किए, जिसके बाद सेबी ने अगस्त 2010 में दोनों कंपनियों की जांच के आदेश दिए थे. कंपनियों में गड़बड़ी मिलने पर विवाद बढ़ता गया और मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। सुप्रीम कोर्ट ने सहारा समूह की दोनों कंपनियों को निवेशकों के 36 हजार करोड़ रुपए लौटाने का आदेश दिया.