लखनऊ, केन्द्र की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार पर देश की संपत्तियों को पूंजीपतियों के हाथों बेचने का आरोप लगाते हुये असंगठित कामगार कांग्रेस के अध्यक्ष उदित राज ने कहा कि रोजगार देना और समाज कल्याण के काज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नजरों में गुनाह हो गये है जिसका सीधा असर असंगठित कामगारों पर पड़ेगा।
पार्टी के प्रदेश दफ्तर पर पत्रकारों से बातचीत में उदित राज ने सोमवार को कहा कि देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू का विजन आधुनिक भारत का निर्माण करना था और कांग्रेस ने अपने शासनकाल में हॉस्पिटल, हवाई अड्डे, बंदरगाह और उद्योग कारखाने इत्यादि का निर्माण लोगों को लाभ पहुंचाने एवं नौकरी देने के लिए किया गया था मगर मौजूदा भाजपा सरकार द्वारा सब कुछ नष्ट किया जा रहा है।
उन्होने कहा कि जिस देश का प्रधानमंत्री संसद में यह कहे कि व्यापार करना हमारा काम है और देश का युवा खामोश रह जाय इस बड़ा दुर्भाग्य और क्या हो सकता है। रोजगार देना, वेलफेयर का कार्य, सामाजिक कार्य, प्रधानमंत्री की नजरों में गुनाह हो गया है। सरकार की जो नीति है उससे असंगठित कामगार और ज्यादा बढ़ जायेंगे। देश की सम्पित्तयां चार छह पूंजीपति खरीद रहें हैं। दलितों, पिछड़ों का आरक्षण समाप्त किया जा रहा है। सामान्य वर्ग की भी नौकरियां खत्म की जा रहीं हैं।
उदित राज ने कहा कि संविधान के साथ-साथ हमेशा से भाजपा और आरएसएस द्वारा खिलवाड़ किया जाता रहा है। 11 दिसम्बर 1948 को आरएसएस ने संविधान के साथ-साथ अम्बेड़कर के पुतले को भी जलाया गया था। यदि देश के संविधान को बचाना है और जय भीम को बचाना है तो सबको कांग्रेस के साथ चलना पडे़गा। क्षेत्रीय दलों की सरकार में आरक्षण विरोधी कई बिल जारी हुए। क्षेत्रीय दल कभी राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में बात नहीं कर सकते इसलिए देश केवल कांग्रेस के हाथ में सुरक्षित रहेगा।
इस मौके पर पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने कहा कि कुछ दिन पहले बलरामपुर में सिंचाई परियोजना का उद्घाटन पीएम मोदी ने किया जिसमें कहा गया कि 40 वर्षों से लंबित परियोजना पूरी हुई है तो सवाल है कि जिस परियोजना का शिलान्यास एवं जमीन अधिग्रहण पूर्व प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी ने किया। 32 साल से प्रदेश में कांग्रेस की सरकार नहीं है। इस बीच कल्याण सिंह, रामप्रकाश गुप्ता की प्रदेश में एवं पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की केन्द्र में सरकार आयी थी क्या वह भाजपा के नहीं थे। सात दिसम्बर 1989 के बाद जितनी भी गैर कांग्रेसी सरकारें आयी सबने कांग्रेस की परियोजनाओं को लंबित रखने का काम किया।