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सावन के तीसरे सोमवार को प्रयागराज शिवमय

प्रयागराज, सावन के तीसरे सोमवार को तीर्थराज प्रयाग शिवमय हो गया। शिवभक्त कांवडियों का जत्था गंगा के दशास्वमेध, रामघाट, दारागंज, फाफामऊ एवं संगम घाट पर स्नान कर कांवड में जल भरकर मनकामेश्वर महादेव, पांडेश्वर महादेव आदि शिवालयों में भक्त जलाभिषेक करने निकल पड़े।

श्रद्धालु सुबह से हाथ में जल, फूल, माला, धतूरा, भांग, विल्वपत्र एवं शमी पत्र लेकर हर-हर महादेव और ऊं नम: शिवाय का जप करते हुए संगम क्षेत्र में यमुना किनारे बने पौराणिक महत्व के मनकामेश्वर महादेव , शिवकोट में गंगा किनारे स्थित कोटेश्वर महादेव, पंड़िला में पांडेश्वर महादेव, प्रयागराज के शिवकुटी इलाके में स्थित ‘शिव कचहरी, शहर से 25 किलोमीटर दूर यमुना किनारे स्थित सुजावन देव मंदिर, दशाश्वेध,तक्षकतीर्थ आदि शिवालयों में जलाभिषेक और पूजा-अर्चना करने के लिए भक्तों की कतारें देखने को मिलीं।

सावन के तीसरे सोमवार को कुंडेश्वर महादेव मंदिर पर सुबह से शिवभक्तों का पहुंचना शुरू हो गया। भोलेनाथ का जल अभिषेक कर बेलपत्र, फल-फूल, भांग, धतूरा आदि भोलेनाथ को अर्पित किए। वहीं महिलाओं ने भगवान भोलेनाथ के साथ मां गौरी की विधि-विधान से पूजा-अर्चना कर परिवार में सुख समृद्धि की कामना के लिए प्रार्थना की।

अग्निपुराण में वर्णित अरैल, नैनी सोमेश्वर महादेव की अपनी महिमा है। यहां पर गौतम ऋषि से श्राप मिलने के बाद चंद्रदेव ने इस शिवलिंग की स्थापना की थी। यहां की मान्यता है कि सावन मास में लगातार एक माह तक इस शिवलिंग का जलाभिषेक और दर्शन करने से कुष्ठ रोग ठीक हो जाता है। इसके अलावा ब्रह्मा जी द्वारा स्थापित दशाश्वमेध घाट, घूरपुर के भीटा स्थित सुजावन देव, लालापुर स्थित मनकामेश्वर धाम, दरियाबाद स्थित तक्षकेश्वर महादेव की क्षेत्रीय मान्यता है।

वैदिक शोध एवं सांस्कृतिक प्रतिष्ठान कर्मकाण्ड प्रशिक्षण केंद्र के आचार्य डा आत्माराम गौतम ने बताया कि हर तीन साल के बाद मलमास लगता है, लेकिन इस बार 19 वर्ष बाद ऐसा दुर्लभ संयोग बना है , जिसमें सावन के महीने में मलमास लगने से महादेव की पूजा अर्चना का महत्व भी दो गुना हो जाता है। सावन में अधिकमास लगने से मलमास दो महीने का होगा और इसमें आठ सोमवार पडेंगे। यही कारण है कि मलमास में अधिक मास लगने से सावन का महत्व और बढ़ गया है।

आचार्य ने बताया कि सावन महीने कीा आरंभ चार जुलाई से हो गया है ओर इसका समापन 31 अगस्त को होगा। सावन के बीच में ही 18 जुलाई से 16 अगसत तक अधिकमास रहेगा। सावन मास जहां महादेव की अर्चना के लिए महत्वपूर्ण है वहीं मधिकमास भगवान विष्णु की पूजा के लिए समर्पित है।

प्रशासन ने मंदिरों में श्रद्धालुओं और घाटो पर कांवडि़यों के लिए सुरक्षा के कड़े बन्दोबस्त किए हैं। मंदिरों के बाहर पुलिस दर्शनार्थियों से कतारबद्ध दर्शन करने के लिए देखे गए। कई स्थानो पर श्रद्धालुओं की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए बैरिकेडिंग कर पुरूष और महिलाओं को अलग-अलग मंदिर में जाने का सुगम व्यवस्था बनाया गया है।