नई दिल्ली, उच्चतम न्यायालय ने आज फैसला सुनाया कि फर्जी प्रमाणपत्र के आधार पर आरक्षण के तहत मिली सरकारी नौकरी या दाखिले को कानून की नजरों में वैध नहीं ठहराया जा सकता है। प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति जे.एस. खेहर और न्यायमूर्ति डी.वाई. चन्द्रचूड़ की पीठ ने इस संदर्भ में बंबई उच्च न्यायालय के फैसले को सही नहीं ठहराया जिसने कहा था कि यदि कोई व्यक्ति बहुत लंबे समय से नौकरी कर रहा है और बाद में उसका प्रमाणपत्र फर्जी पाया जाता है तो, उसे सेवा में बने रहने की अनुमति दी जा सकती है।