नई दिल्ली, सुप्रीम कोर्ट ने मानहानि के मामलों को राजनीतिक बदले के हथियार के रूप में इस्तेमाल करने की प्रवृत्ति पर रोक लगाने की आवश्यकता जताई है। कहा है, सरकार की आलोचना करने पर इसका इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। कोर्ट ने तमिलनाडु की पार्टी डीएमडीके के प्रमुख व फिल्म अभिनेता विजयकांत और उनकी पत्नी प्रेमलता के खिलाफ जारी गैर जमानती वारंट के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी है। जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस आरएफ नरीमन की बेंच ने मामले की सुनवाई में कहा कि सरकार को भ्रष्ट या बेकार कहने पर मानहानि का मुकदमा दायर नहीं किया जा सकता। आलोचना के प्रति सहिष्णुता का भाव अपनाया जाना चाहिए। मानहानि का मुकदमा राजनीतिक बदले का हथियार नहीं बनाना चाहिए। बेंच ने तमिलनाडु में दो हफ्ते में दायर हुए मानहानि के मुकदमों की सूची पर भी नाराजगी जताई। ये मुकदमे मुख्यमंत्री जयललिता की आलोचना करने पर लोक अभियोजक द्वारा दायर किए गए हैं। कहा, अगर लोगों के उत्पीड़न के लिए कानून का इस्तेमाल किया गया तो कोर्ट मामले में हस्तक्षेप करेगी। बेंच ने तमिलनाडु सरकार के वकील से कहा कि वह मानहानि के प्रावधानों का गलत मायनों में इस्तेमाल न करें। तिरुपुर की ट्रायल कोर्ट ने बुधवार को विजयकांत और उनकी पत्नी के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया था। मानहानि के मामले में ये दोनों अदालत में पेश नहीं हो पाए थे। उनके खिलाफ जयललिता और तमिलनाडु सरकार पर छह नवंबर 2015 को की गई टिप्पणी के बाद मानहानि का मामला दर्ज किया गया था। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने जयललिता और तमिलनाडु के लोक अभियोजक को नोटिस भी जारी किए हैं। मानहानि के मामलों पर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को भी एक अहम फैसला दिया था जिसमें उसने जांच में पुलिस की भूमिका को गैरजरूरी कहा था।