नई दिल्ली, सुप्रीम कोर्ट ने सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय और दो अन्य निदेशकों की पैरोल को रद्द करते हुए उन्हें हिरासत में लेने का निर्देश दिया है. सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति टी. एस. ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने सुब्रत और अन्य को पैरोल देने की अंतरिम व्यवस्था रद्द कर दी.
सहारा की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता ने जब मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष कहा कि उन्हें भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा संपत्ति की बिक्री प्रक्रिया में शामिल नहीं किया गया है तो न्यायाधीश काफी नाराज़ हो गए। पीठ ने कहा, “अगर आप चाहते हैं कि आपकी बातें सुनी जाएं, तो पहले आप जेल जाइए… हमें यह मत बताइए कि हमें क्या करना है… सभी अंतरिम व्यवस्था रद्द की जाती हैं… सभी को हिरासत में लिए जाने का निर्देश दिया जाता है…” पीठ में न्यायाधीश एआर दवे और न्यायाधीश एके सीकरी भी शामिल हैं।
इससे पहले बाजार नियामक सेबी के वकील प्रताप वेणुगोपाल ने पीठ को बताया कि सहारा द्वारा बाजार नियामक को दी गईं सभी संपत्तियां पहले ही आयकर विभाग द्वारा कुर्क कर ली गई हैं. इसके बाद प्रधान न्यायाधीश ने तुरंत पैरोल रद्द करते हुए रॉय तथा दो अन्य निदेशकों को हिरासत में लेने और उन्हें तीन अक्टूबर को मामले की अगली सुनवाई तक हिरासत में ही रखने का निर्देश दिया है.
धवन ने कहा कि यह कहना उचित नहीं है कि उन्हें फिर से जेल भेजा जाना चाहिए. उन्होंने कहा, “हमने पिछले निर्देश के मुताबिक 352 करोड़ रुपये पहले ही जमा कर दिए हैं, जो 52 करोड़ रुपये अतिरिक्त हैं… यह उपयुक्त नहीं है…” सेबी की तरफ से पेश अधिवक्ता ने बताया कि 58 संपत्तियों को नीलामी के लिए रखा गया और उनमें से आठ को 137 करोड़ रुपये में बेचा गया. उन्होंने यह भी कहा कि संपत्तियों में से पांच को अस्थायी रूप से कुर्क किया गया था.
उन्होंने कहा कि सहारा ने उन्हें संपत्तियों की जो सूची सौंपी है, उसमें वे संपत्तियां भी शामिल हैं, जो पहले ही कुर्क की जा चुकी हैं. इस पर पीठ ने सहारा के अधिवक्ता से कहा, “आपने उन संपत्तियों की सूची दी है, जो पहले से ही कुर्क हैं… आप सहयोग नहीं कर रहे हैं, सो, बेहतर होगा कि आप जेल जाएं…” पीठ ने सहारा प्रमुख को जमानत जारी रखने के लिये 300 करोड़ रुपये जमा करने को कहा.
न्यायालय के इस रुख के बाद धवन ने अनुरोध किया कि मामले पर आगे की सुनवाई के लिए 30 सितंबर की तारीख रखी जाए, उस दिन वह इस पर अपना पक्ष रखेंगे. जैसे ही पीठ ने रॉय और सहारा के दो अन्य निदेशकों अशोक रॉय चौधरी और रवि शंकर दुबे को हिरासत में लेने का निर्देश दिया, सहारा ने अपने अधिवक्ता को केस से हटा लिया और पीठ से माफी मांगी.
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि कुछ लोग अदालत की मर्यादा के साथ खेलते हैं और कुछ वकील हैं, जो अदालत के प्रति सम्मान नहीं रखते.