लखनऊ, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा में प्रदेश में बिजली, कृषि, स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में हुए ऐतिहासिक बदलावों को विस्तार से प्रस्तुत किया।
उन्होंने कहा कि 2017 से पहले उत्तर प्रदेश में बिजली संकट गहरा था, लेकिन आज प्रदेश के हर कोने में निर्बाध विद्युत आपूर्ति हो रही है। उत्तर प्रदेश अब अंधकार से प्रकाश की ओर बढ़ चुका है। ऊर्जा, कृषि, स्वास्थ्य और औद्योगिक क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव ने प्रदेश की तस्वीर बदल दी है। सरकार ने जो वादे किए थे, उन्हें धरातल पर उतारा है, जिससे प्रदेशवासियों का विश्वास और मजबूत हुआ है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों में 24 घंटे, तहसीलों में 22 घंटे और ग्रामीण क्षेत्रों में 18 से 20 घंटे बिजली उपलब्ध कराई जा रही है। उन्होंने बताया कि सरकार हर मजरे तक विद्युतीकरण सुनिश्चित कर रही है। 2017 से अब तक 24,800 करोड़ रुपये की लागत से 193 नए सब-स्टेशन का निर्माण किया गया है। मुख्यमंत्री ने बताया कि कानपुर में 600 मेगावाट की घाटमपुर तापीय परियोजना की पहली इकाई दिसंबर 2024 में पूरी हो चुकी है, जबकि शेष दो इकाइयां मई और अगस्त 2025 तक पूरी हो जाएंगी। प्रदेश में 9926 नए ट्रांसफार्मर स्थापित किए गए, 28,602 ट्रांसफार्मरों की क्षमता बढ़ाई गई और 1,88,000 निजी नलकूपों को बिजली कनेक्शन दिए गए।
उन्होंने कहा कि सौर ऊर्जा के क्षेत्र में भी उत्तर प्रदेश ने बड़ी छलांग लगाई है। 2017 तक कुल 288 मेगावाट की ग्रीन एनर्जी परियोजनाएँ थीं, जो अब बढ़कर 2653 मेगावाट हो गई हैं। इसके अलावा, 508 मेगावाट की सोलर रूफटॉप परियोजनाएँ विभिन्न सरकारी भवनों पर स्थापित की गई हैं। सरकार 22,000 मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन की दिशा में तेजी से कार्य कर रही है।
मुख्यमंत्री ने किसानों की बेहतरी के लिए किए गए कार्यों पर चर्चा करते हुए बताया कि 14 लाख किसानों के निजी नलकूपों का बिजली बिल माफ कर दिया गया है। 2017 में पहली कैबिनेट बैठक में 86 लाख किसानों का 36,000 करोड़ रुपये का ऋण माफ किया गया था। अब तक 1.65 करोड़ किसानों को मुफ्त बिजली कनेक्शन दिए जा चुके हैं। योगी ने कहा कि हमारी सरकार ने किसानों के हित में कई क्रांतिकारी निर्णय लिए हैं।
उन्होंने बताया कि 2017 से पहले किसानों को अपनी फसल बेचने में बिचौलियों का सामना करना पड़ता था, लेकिन अब सरकार सीधे खरीद कर रही है। इसके चलते खाद्यान्न उत्पादन भी बढ़ा है। 2016-17 में प्रति हेक्टेयर 22.27 क्विंटल खाद्यान्न उत्पादन होता था, जो 2023-24 में बढ़कर 30.51 क्विंटल हो गया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत वर्ष 2023-24 में 28.58 लाख किसानों ने 19.84 लाख हेक्टेयर भूमि का बीमा कराया, जिसमें 9.33 लाख किसानों को 495.41 करोड़ रुपये की क्षतिपूर्ति दी गई। गन्ना उत्पादन में भी उत्तर प्रदेश ने उल्लेखनीय वृद्धि की है। 2016-17 में 20.5 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में गन्ने की खेती होती थी, जो अब बढ़कर 29.6 लाख हेक्टेयर हो गई है। गन्ने की प्रति हेक्टेयर पैदावार 72 टन से बढ़कर 85 टन हो गई है।
मुख्यमंत्री ने बताया कि 2017 के पहले 22 वर्षों में जितना गन्ना मूल्य भुगतान हुआ था, उससे अधिक केवल सात वर्षों में किया गया है। 2017 से अब तक 2.73 लाख करोड़ रुपये गन्ना किसानों को भुगतान किए जा चुके हैं। राज्य में वर्तमान में 120 चीनी मिलें संचालित हैं, जिनमें 39 नई चीनी मिलें स्थापित की गई हैं और 6 पुरानी मिलों का पुनः संचालन हुआ है। 38 चीनी मिल का विस्तार हुआ है और लगभग 125000 लोग प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार के साथ जुड़े हुए हैं।
इसके साथ ही 285 खांडसारी इकाइयों की स्थापना के माध्यम से 41800 लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार प्राप्त हुआ है। एथेनॉल उत्पादन में 42 करोड़ लीटक से बढ़कर के 2023-2024 में बढ़कर के 77 करोड़ लीटर का उत्पादन हो रहा है। सीएम योगी ने बताया कि सिंचाई और बिजली की निशुल्क व्यवस्था उपलब्ध होने के बाद 14 लाख से अधिक निजी नलकूपों में बिजली बिल माफ किए गए हैं। 31,000 सिंचाई परियोजनाओं के पूर्ण होने से 22 लाख 75000 हेक्टेयर की अधिक सिंचन की क्षमता भी अर्जित की गई है, जिसके माध्यम से 46 लाख 69000 कृषक इसके माध्यम से सीधे-सीधे लाभान्वित हुए हैं। इसके अलावा मध्य गंगा नहर परियोजना फेज टू कनहर सिंचाई परियोजना महाराजगंज में रोहिणी नदी बांध है, यह पूर्ण होने पर 4,74,000 हेक्टेयर क्षेत्रफल में सिंचन की अतिरिक्त क्षमता उत्पन्न होगी और उसके माध्यम से 6,77,000 किसान इसके माध्यम से लाभान्वित होंगे। इसके साथ ही पीएम कुसुम योजना के तहत इस सत्र में 53000 से अधिक किसानों को सोलर पैनल उपलब्ध करवाने की कार्यवाही भी सरकार आगे बढ़ने जा रही है।
स्वास्थ्य सेवाओं के सुधार पर चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि 2017 से पहले प्रदेश में केवल 17 सरकारी मेडिकल कॉलेज थे, लेकिन आज सभी 75 जिलों में एक मेडिकल कॉलेज की स्थापना सुनिश्चित की गई है। इंसेफेलाइटिस उन्मूलन में सरकार को बड़ी सफलता मिली है। 2017 से पहले यह बीमारी हजारों बच्चों की जान लेती थी, लेकिन आज इसमें 99 प्रतिशत तक की कमी आ चुकी है। डेंगू और मलेरिया जैसी बीमारियों पर भी प्रभावी नियंत्रण हुआ है। 2017 की तुलना में डेंगू से मृत्यु दर में 95 प्रतिशत और मलेरिया के मामलों में 56 प्रतिशत की कमी आई है। हर जिले में डायलिसिस सुविधा, ब्लड बैंक और प्लेटलेट्स बैंक की स्थापना की गई है।
मुख्यमंत्री ने बताया कि आयुष्मान भारत योजना में उत्तर प्रदेश सबसे अधिक गोल्डन कार्ड बनाने वाला राज्य है। इसके अलावा, मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत उन लोगों को भी मुफ्त इलाज का लाभ मिल रहा है, जो आयुष्मान योजना में कवर नहीं थे। एमबीबीएस सीटों की संख्या 2017 में 1,190 थी, जो अब बढ़कर 5,250 हो गई है। निजी मेडिकल कॉलेज में सीटों की संख्या 2550 से बढ़कर के 6550 हुई है। पीजी सीटों की संख्या 741 से बढ़कर 1,871 हो गई है। निजी क्षेत्र के मेडिकल कॉलेज में 2017 के तुलना में सीटों की संख्या 480 से बढ़कर के 3100 हुई है इसके अलावा सरकारी मेडिकल कॉलेज में सुपर स्पेशलिटी की सुविधा भी उपलब्ध करवाने की कार्रवाई की गई है और इसमें सीट भी बढ़ी है। एसजीपीजीआई में आठ नए विभाग के कार्यक्रम भी प्रारंभ हुए हैं। आईआईटी कानपुर में 500 बेड एक सुपर स्पेशलिटी चिकित्सालय के निर्माण की कार्यवाही में राज्य सरकार योगदान दे रहा है, जिसमें स्कूल ऑफ मेडिकल रिसर्च एंड टेक्नोलॉजी इस कार्यक्रम भी पूर्ण करने में राज्य सरकार पूरी सुविधा उपलब्ध करवाने का कार्य कर रही है।