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स्तनपान कराते समय महिलाएं न भूलें ये बातें

girl1मां का दूध, आपके शिशु के लिए परिपूर्ण आहार है। यही एकमात्र आहार है, जिसकी आपके शिशु को जीवन के प्रारंभिक 6 महीनों में आवश्यकता होती है। जिन शिशुओं को जन्म से स्तनपान कराया जाता है, उनकी जीवन के पहले वर्ष में बीमार पडने की संभावना बहुत कम होती है। अगर आपको स्वाभाविक रूप से स्तनपान कराने में कुछ कठिनाई हो रही है, तो चिंता न करें। बहुत सी नई माताओं को स्तनपान कराने में माहिर होने के लिए अभ्यास और दृढता की जरुरत पड़ती है। हर मां को चाहिये कि वह बच्चे को सही ढंग से स्तनपान करवाएं, ताकि बच्चा पूरे जीवन स्वस्थ रहें। इसलिए आज हम आपको स्तनपान करवाने के कुछ टिप्स बताने जा रहे हैं जो निम्र प्रकार हैं

1. बच्चे को उसी स्वाभाविक शेप में रहने दें, उसे ज्यादा सीधा करने की कोशिश न करें। बच्चे का मुंह अपने स्तनों के पास ले जाएं, शुरूआत में आपको दर्द होगा और गुस्सा भी आएगा, लेकिन बच्चे को प्यार और दुलार से ही स्तनपान करवाएं। बच्चा स्वयं ही स्तनों से दुख निकालना सीख जाता है। शुरूआत में वह स्तनों को जानता नहीं है इसलिये वह इधर-उधर मुंह करता है, इसका यह मतबल बिलकुल नहीं है कि वह दूध पीना नहीं चाहता है। अगर बच्चा ज्यादा उछले तो उसे सहलाएं और प्यार से पकड़ें।

2. सही पोजिशन:- कई बार छोटे बच्चे मां की गोद में राइट पोजिशन न मिलने से भी स्तनपान नहीं करते है। ऐसे में उन्हे सही तरीके से लिटाना सीख लें और फिर दूध पिलाएं। बच्चों को हल्का कर्व लेटने में आराम मिलता है क्योंकि वह पेट में भी उसी शेप में रहते हैं।

3. बच्चे को सपोर्ट करें:- बच्चा इस दुनिया में नया आता है, उसे कुछ भी पता नहीं होता है। ऐसे में स्तनपान करने के लिए बच्चे की मदद करें। उसे अपनी बाहों पर लिटाएं और सही तरीके से मुंह को स्तनों तक ले जाएं। शुरूआत में बच्चे को दूध खीचनें में ज्यादा दिक्कत होती है लेकिन इससे परेशान न हों और उसे सर्पोट करें। लिटाकर दूध पिलाने से बेहतर है कि आप गोद में दूध पिलाएं।

4. स्तनों को साफ रखें:- बच्चों को स्तनपान करवाने के बाद स्तनों को पानी से धो लें। इससे बच्चे के मुंह में किसी प्रकार का इंफेक्शन नहीं होगा और वह आसानी से दूध पी लेगा।

5. अगर आपके स्तनों में किसी प्रकार की समस्या या संक्रमण हो गया है तो डॉक्टर से इलाज करवाएं, क्योंकि तबतक बच्चा स्तनपान नहीं करेगा और उसका विकास रूक जाएगा।

6. स्तनपान करवाना एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जो शुरूआत में थोड़ी कष्टदायी हो सकती है। मां और बच्चे, दोनों को ही स्तनपान करवाने से काफी लाभ मिलता है, वरना मां के स्तनों में दूध सूख जाता है जिससे कई प्रकार की बीमारियां हो सकती हैं और बच्चे का शारीरिक विकास नहीं होता है।