नयी दिल्ली, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि संविधान को मजबूती देने के लिए उसकी भावना को जीना पड़ता है और हम वो लोग हैं जो संविधान को जीते हैं, हम ज़हर की राजनीति नहीं करते।
प्रधानमंत्री मोदी ने संसद के बजट सत्र के पहले संयुक्त अधिवेशन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर करीब 17 घंटे की चर्चा का जवाब देते हुए कहा, “राष्ट्रपति ने (अभिभाषण में) संविधान के 75 वर्ष पूरे होने की विस्तार से चर्चा की है। संविधान में जो धाराएं हैं, संविधान की एक भावना भी है। संविधान को मजबूती देने के लिए उसकी भावना को जीना पड़ता है। हम वो लोग हैं जो संविधान को जीते हैं।”
उन्होंने भारत के संविधान को लोकतंत्र की भावना बताते हुए कहा कि वह गुजरात की स्थापना के 50 वर्ष पूरे होने के मौके पर बतौर मुख्यमंत्री उन्होंने तय किया था कि स्थापना के बाद से राज्यपालों के अभिभाषणों को संकलित करके एक पुस्तक के रूप में प्रकाशित कराया था जबकि उसमें कोई भी सरकार भाजपा की नहीं थी। ऐसा इसलिए किया क्योंकि हम संविधान की भावना को जीना जानते हैं।
उन्होंने कहा, “2014 में जब हम आए, तब मान्य विपक्ष नहीं था। उतने अंक लेकर भी कोई नहीं आया था।भारत के अनेक कानून ऐसे थे कि हमें पूरी स्वतंत्रता थी उस कानून के हिसाब से काम करने की। अनेक कमेटियां भी ऐसी थीं, जिसमें लिखा था नेता प्रतिपक्ष उसमें आएंगे, लेकिन मान्य विपक्ष कोई था ही नहीं। ये हमारा संविधान जीने का स्वभाव था, हमने तय किया कि भले मान्य विपक्ष नहीं होगा, लेकिन जो सबसे बड़े दल का नेता है, उसे बैठकों में बुलाएंगे।” उन्होंने कहा कि कांग्रेस के समय में चुनाव आयोग की नियुक्ति प्रधानमंत्री करते थे। लेकिन हमने नेता प्रतिपक्ष को बैठाया। इसके लिए कानून भी बनाया। इसीलिए हम कहते हैं कि हम संविधान की भावना को जीते हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “खुद के लिए जीने वालों की जमात छोटी नहीं है लेकिन हम संविधान की भावना के लिए जीते हैं। जब सत्ता सेवा बन जाए, तो राष्ट्र निर्माण होता है। जब सत्ता को विरासत बना दिया जाए, तो लोकतंत्र खत्म हो जाता है। हम संविधान की भावना को लेकर चलते हैं, हम जहर की राजनीति नहीं करते हैं। हम देश की एकता को सर्वोपरि रखते हैं और इसलिए सरदार वल्लभ भाई पटेल की प्रतिमा ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी बनाते हैं। जो दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा है।”
उन्होंने कहा कि हम देश की एकता में विश्वास करते हैं। ये देश का दुर्भाग्य है कि देश के लोग अर्बन नक्सल की भाषा बोलते हैं। इंडियन स्टेट के सामने मोर्चा लेने की बात करते हैं। ना संविधान, ना देश की एकता की समझ रखते हैं। सात दशक तक जम्मू कश्मीर लद्दाख को संविधान से वंचित रखा। ये संविधान के साथ भी अन्याय था। हमने अनुच्छेद 370 की दीवार गिरा दी और देशवासियों को उनका हक दिला दिया।
उन्होंने कहा कि हमारा संविधान भेदभाव का हक नहीं देता है। आपने मुस्लिम महिलाओं का जीना मुहाल कर रखा था। हमने उन्हें समानता का अधिकार दिया। जब भी देश में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की सरकार रही है, हमने वंचितों को अधिकार देने की दिशा में काम किया और इसीलिए पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास तथा आदिवासियों के कल्याण के लिए अलग मंत्रालय बनाया। पूर्वी पश्चिमी दक्षिणी राज्य समुद्र से जुड़े हैं। उनके हितों के लिए काम किया जा रहा है। समाज के दबे कुचले, वंचित लोगों के लिए काम हो रहा है। अलग कौशल विकास का मंत्रालय बना कर युवाओं की आशा आकांक्षाओं पर काम किया। देश में लोकतंत्र को मजबूत करने एवं सत्ता को समाज के करीब ले जाने के लिए सहकारिता के माध्यम से और सहकारी विकास के लिए सहकारिता मंत्रालय बनाया।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “जाति की बातें करना कुछ लोगों का फैशन बन गया है। पिछले 30 साल से सदन में आने वाले ओबीसी समाज के सांसद दलों के भेदभाव से ऊपर उठकर एक होकर मांग कर रहे थे कि ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा दिया जाए। जिन लोगों को आज जातिवाद में मलाई दिखती है, उन लोगों को उस समय ओबीसी की याद नहीं आई। हमने ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा दिया।”
उन्होंने कहा कि हर क्षेत्र में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और ओबीसी को ज्यादा से ज्यादा अवसर मिले। देशवासियों के साथ इस अहम सवाल पर चिंतन और चर्चा करने की जरूरत है। क्या एक ही समय पर संसद में अनुसूचित जाति वर्ग के एक परिवार के तीन सांसद हुए हैं? उन्होंने कहा कि हम अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति समाज को कैसे मजबूत बनायें और समाज में तनाव पैदा किये बिना वंचित वर्ग के कल्याण के लिए कैसे काम किया जाता है, इसके कई उदाहरण हैं।
उन्होंने कहा कि 2014 के पहले देश में 387 मेडिकल कॉलेज थे, आज 781 मेडिकल कालेज हैं। जाहिर है कि इसी हिसाब से सीटें भी बढ़ी हैं। 2014 में अनुसूचित जाति के लिए छात्रों के लिए एमबीबीएस की सीटें 7007 थीं जो अब 17000 से अधिक हो गयीं हैं। इसी प्रकार से हर क्षेत्र में अनुसूचित जाति के लिए सीटें कई गुना बढ़ गयीं हैं। समाज में तनाव लाये बिना अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के छात्रों को विश्वविद्यालयों, आईआईटी, आईआईएम आदि संस्थानों में अधिक जगह मिली है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “हमारा निरंतर प्रयास है कि हर योजना का शत प्रतिशत लाभ हर लाभार्थी को मिले। लेकिन कुछ लोगों ने मॉडल ही ऐसा बनाया था कि कुछ ही लोगों को दो औरों को तड़पाओ और तुष्टिकरण की राजनीति करो। देश को विकसित बनाने के लिए तुष्टिकरण से मुक्ति पानी होगी। हमने रास्ता चुना है- संतुष्टिकरण का। हर समाज, हर वर्ग के लोगों को उनका हक मिलना चाहिए।”