हवा से ऑक्सीजन लेने वाले स्क्रैमजेट इंजन का परीक्षण सफल
August 28, 2016
चेन्नई/नई दिल्ली, इसरो ने रविवार को एटमॉस्फियर की ऑक्सीजन को फ्यूल जलाने में इस्तेमाल करने वाले स्क्रैमजेट इंजन का परीक्षण किया। पांच मिनट का ये टेस्ट कामयाब रहा। इस इंजन को सतीश धवन स्पेस सेंटर (एसडीएससी) में बनाया गया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल (आरएलवी) में हाइपरसोनिक स्पीड (ध्वनि की गति से तेज) पर इस इंजन का यूज किया जाएगा। इस टेस्ट के साथ ही भारत ने जापान-चीन और रूस को पीछे छोड़ते हुए अमेरिका के नासा की बराबरी कर ली है।
आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अनुसंधान केंद्र से आज सुबह छह बजे तीन टन वजन के साउंडिंग रॉकेट आरएच-560 सुपरसोनिक कम्बशन रैमजेट ने उड़ान भरी। इसरो के वैज्ञानिकों ने बताया कि यह इंजन रियूजेबल लॉन्च व्हीकल को हाइपरसोनिक स्पीड पर उपयोग करने में मदद देगा। टेस्ट के दौरान स्क्रेमजेट इंजन को 1970 में तैयार किए गए आरएच-560 साउंड रॉकेट में लगाया गया। इसे 20 किलोमीटर ऊपर ले जाया गया और वहां पर पांच सेकंड तक ईंधन को जलने दिया गया। बाद में यह रॉकेट बंगाल की खाड़ी में गिर गया।
इसके सफल परीक्षण के बाद अब सेटेलाइट्स के प्रक्षेपण पर आने वाले खर्च में कटौती की जा सकेगी। इसकी मदद से इंधन में ऑक्सीडायजर की मात्रा को कम किया जा सकेगा जिससे लागत कम हो जाएगी। सफल परीक्षण के बाद इसरो के चेयरमैन ने इसे एक बड़ी कामयाबी बताया। सफल प्रक्षेपण के लिए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने ट्वीट कर इसरो को बधाई दी।राष्ट्रपति ने ट्वीट किया, स्क्रैमजेट रॉकेट इंजन के सफलतापूर्वक लॉन्च के लिए इसरो को हार्दिक बधाई। भारत को इस उपलब्धि पर गर्व है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इसरो को इस बडी सफलता के लिए बधाई दी।
क्या है स्क्रैमजेट इंजन? -स्क्रैमजेट इंजन का प्रयोग केवल रॉकेट के वायुमंडलीय चरण के दौरान ही होता है। -यह ईंधन के साथ प्रयोग होने वाले ऑक्सीडाइजर की मात्रा को घटा कर प्रक्षेपण लागत को कम करने में मददगार है। -स्क्रैमजेट सुपरसोनिक इंजन है। यह रॉकेट को 5 मैक या उससे ऊपर उड़ने में सहायता देती है। -इन इंजनों में कोई गतिशील भाग नहीं होता है। -स्क्रैमजेट इंजन ऑक्सीजन को द्रवित कर सकता है।और इसे रॉकेट या जहाज में संग्रहीत कर सकता है। स्क्रैमजेट से क्या होंगे फायदे? -इससे रॉकेट का वजन लगभग आधा हो जाएगा। -हल्का होने से अंतरिक्ष में भारी पैलोड ले जाने में मदद मिलेगी। -लॉन्चिंग का खर्च कम हो जाएगा। अमेरिका की बराबरी की… -भारत ने स्क्रैमजेट इंजन का टेस्ट कर अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा की बराबरी कर ली है।
नासा ने 2004 में ये टेस्ट किया था। -जापान, चीन, रूस और यूरोपीय देशों में भी इसकी टेस्टिंग शुरुआती लेवल पर है। -इससे पहले 2006 में भारत ने स्क्रैमजेट का जमीन पर टेस्ट किया था। इनसैट-3डीआर का प्रक्षेपण फिलहाल रोका गया:- मौसम उपग्रह इनसैट-3डीआर के प्रक्षेपण को आठ सितंबर तक के लिए स्थगित कर दिया गया है। इस बदलाव के बारे में जब कृष्णन से पूछा गया तो उन्होंने कहा, परीक्षणों के दौरान उपग्रह घटक के साथ एक तकनीकी समस्या पाई गई थी। इसे ठीक कर दिया गया है और इसलिए प्रक्षेपण की तारीख को आगे बढ़ाया गया है। उन्होंने कहा कि जीएसएलवी रॉकेट के माध्यम से मौसम उपग्रह इनसैट-3डीआर का प्रक्षेपण किया जाएगा और वह पूरी तरह से तैयार है। इसका क्रियान्वयन तीन-चार दिनों में शुरू हो जाएगा।