हेडलाइन के माहिर मोदी को बतानी पड़ेगी जाति जनगणना की डेडलाइन: कांग्रेस

कांग्रेस संचार विभाग के प्रभारी जयराम रमेश ने गुरुवार को यहां पार्टी मुख्यालय में पत्रकारों से कहा कि पार्टी नेता राहुल गांधी ने कल सभी को कांग्रेस के सामाजिक न्याय और सामाजिक सशक्तीकरण के एजेंडा से अवगत कराया है। उन्होंने सरकार के इस निर्णय का समर्थन किया, लेकिन यह भी कहा कि जाति जनगणना से श्री मोदी ने हेडलाइन तो दी है लेकिन इसमें डेडलाइन नहीं दी है। श्री मोदी की हेडलाइन पाने की इसी महारत को देखते हुए श्री गांधी ने मांग की है कि सरकार जातिगत जनगणना को लेकर पूरा रोडमैप सामने रखे।
उन्होंने कहा, “हमारी सरकार से तीन मांगे रही हैं। जातिगत जनगणना कराना, आरक्षण में 50 प्रतिशत की सीमा ख़त्म करना और अनुच्छेद 15(5) को लागू करना शामिल है। हम छह साल से जनगणना का इंतज़ार कर रहे हैं और इससे पहले तो जाति शब्द का कोई जिक्र नहीं था, लेकिन कल अचानक जातिगत जनगणना की बात कह दी गई। जबकि 2025-26 के बजट में सेन्सस कमिश्नर के ऑफिस-जिसपर जनगणना करने की जिम्मेदारी होती है-उसे सिर्फ 575 करोड़ का बजट दिया गया है। इससे पहले ख़ुद दिसंबर 2019 में श्री मोदी देश को बता चुके हैं कि जनगणना कराने में 8,254 करोड़ का खर्च आएगा। ऐसे में सवाल है कि सरकार सिर्फ 575 करोड़ रुपए में कौन सी जनगणना कराएगी।”
श्री रमेश ने कहा, “24 दिसंबर, 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कैबिनेट बैठक की अध्यक्षता की और बाद में इस पर निकाला गया प्रेस पीआईबी वेबसाइट पर अपलोड किया, जिसमें लिखा था कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 8,254 करोड़ रुपये की लागत से भारत की जनगणना 2021 कराने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इसमें तीन घटक शामिल हैं, घरों की सूची बनाना, घरों की जनगणना और जनसंख्या गणना। यही तीन बातें इस प्रेस रिलीज में शामिल हैं और इसमें कहीं भी जाति शब्द का जिक्र नहीं है लेकिन अप्रत्याशित तरीक़े से कल यह बताया गया कि जनगणना में जातिगत जनगणना भी शामिल होगी।”
उन्होंने कहा, “साल 2021 में जनगणना होनी चाहिए थी, लेकिन कोरोना का बहाना बनाकर यह काम नहीं किया गया। जबकि उस समय भी दुनिया के 50 से अधिक देशों ने जनगणना कराई थी। आज से एक साल पहले श्री मोदी टीवी इंटरव्यू पर कहा करते थे कि जो भी जातिगत जनगणना की बात करता है, वो ‘अर्बन नक्सल’ है। अगर ऐसे देखा जाए तो नरेंद्र मोदी और अमित शाह अचानक से ‘अर्बन नक्सल’ बन गए लेकिन कल अचानक जातिगत जनगणना का धूमधाम से जश्न मनाने लग गए। कांग्रेस समेत कई दलों ने जातिगत जनगणना की मांग की, लेकिन 11 साल तक श्री मोदी ने इस पर चुप्पी नहीं तोड़ी। जब मैं ख़ुद मंत्री था, तब 2011 में ग्रामीण भारत में सामाजिक, आर्थिक और जाति आधारित जनगणना हुई थी, लेकिन उसके आंकड़े आजतक सामने नहीं आए। हमने मांग की तो हमारी और हमारे नेताओं की आलोचना की गई। अब जब देश पहलगाम हमले को लेकर शोक में है तो सरकार ने जातिगत जनगणना का निर्णय लिया और कहा कि ये निर्णय श्री मोदी की सोच से आया है।”
कांग्रेस नेता ने कहा “2011 में ग्रामीण और शहरी भारत में सामाजिक, आर्थिक और जाति आधारित जनगणना कराई गई थी। इसमें करीब 25 करोड़ परिवारों से जानकारी हासिल की गई थी। यह सही है कि इस सर्वेक्षण में जाति के बारे में जानकारी प्रकाशित नहीं की गई थी, क्योंकि इसमें कई खामियाँ मिली थीं। मैं खुद मंत्री था और मैंने राज्य सरकारों के साथ मिलकर बहुत प्रयास किया कि हर राज्य में जो खामियाँ हमें मिली हैं, हम उसमें कैसे सुधार कर सकते हैं। लेकिन बाद में चुनाव आ गया, आचार संहिता लागू हो गई और हम जानकारी प्रकाशित नहीं कर पाए। मुझे खुशी है कि इस सर्वेक्षण से जो सामाजिक और आर्थिक स्थिति की जानकारी मिली, आज भी मोदी सरकार उसका इस्तेमाल कर रही है। उम्मीद है कि सरकार संसद से अनुमति लेगी और जल्द से जल्द जनगणना करना शुरू करेगी। देखा जाए तो जनगणना करने में लगभग 10 महीने लगते हैं, इसलिए अगर सरकार यह काम नवंबर में शुरू करती है, तो यह काम मई या अगस्त तक पूरा हो पाएगा।”