लखनऊ, रंगो का त्योहार होली को अब महज 11 दिन शेष बचे है। ऐसे में जहां महिलाएं घरों में पापड़ बनाने की तैयारिया शुरु कर दी है। तो वहीं मिलावटी का बाजार भी गरमा गया है, लेकिन इस बार मिलावट खोरों को धरपकड़ के लिए फूड विभाग खास तैयारी की है। अब यह देखना है कि कौन किस पर भारी पड़ता है। गौरतलब है होली पर एक तरफ रंगों की फुहार और मुंह मीठा कराने के लिए मावे की मिठाई और गुझिया न हो, यह उतना ही अटपटा लगता है जितना बिना रंग व पानी के होली खेलना। लेकिन जरा सोचिए कि शहरी व ग्रामीण क्षेत्र में पशुओं की लगातार कमी के बावजूद दूध व इससे बने उत्पादों की मांग को लगातार बढ़ते जाने के बाद भी पूरा किया जा रहा है। त्योहार पर दूध व इससे बने उत्पादों की मांग अचानक बढ़ती है और हर वर्ष इसे पूरा किया जाता है।
आखिर कैसे? साफ है कि कहीं न कहीं मिलावटी खाद्य सामग्री से मांग को पूरा किया जाता है। इसके बारे में जानते तो सभी हैं, लेकिन बचाव में कुछ करने में नाकाम है। मिलावट की प्रबल आशंका होने के बाद भी लोग त्योहारों पर उपहार के रूप में मिठाई देते हैं। दूध की कमी के बावजूद मिलावटखोर पूरे वर्ष दूध, मावा व पनीर जैसे खाद्य पदार्थो की कमी नहीं होने देते। इस बार भी होली का त्योहार आते ही मिलावट खारों ने अपनी बाजार को लगा ली है। राजधानी के ठाकूरगंज चारबाग की खोया मंडी में कई कुंतल खोए आ गए है जो विभिन्न बाजारों में बेचे जाने है। लेकिन इस बार मिलावट राम को पकड़ने के लिए भी फूड विभाग के ने भी खास योजना बनायी है। सम्भागीय खाद्य विपणन अधिकारी राजेश कुमार उपाध्याय का कहना है कि होली के त्यौहार को देखते हुए मिलावटी मावा बाजार में न बिक सके इसको मद्देनजर कई सदस्यी टीम गठित की गई है। सभी को जोनों में बाट कर ऐसे मिलावट खोरों को धरपकड़ के लिए लगाया गया है। अभियान में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वह तारीख नही बता सकते है पर ताया कि इसी सप्ताह से शुरु हो जाएगा।