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कोरोना वायरस के संकट चलते अखिलेश यादव ने इन वर्गों को लेकर उठाया बड़ा सवाल?

लखनऊ,  समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि कोरोना वायरस के संकट में उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार को असंगठित क्षेत्र के श्रमिको, किसानों, रिक्शा चालकों, आटो चालकों तथा सड़क किनारे छोटे मोटे सामान या खाद्य पदार्थ बेचने वालों की दशा पर भी संवेदना के साथ विचार करना चाहिए। ये रोज कुंआ खोदते और पानी पीते हैं।

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उन्होने कहा कि सरकार ने अस्पतालों में ओपीडी, जलपान गृह, ढाबे, होटल, मिठाई भण्डार, फूड स्टाल, काफी हाउस, कैफे, रेस्त्रां, बाजार, कार्यालयों और तमाम गतिविधियों पर 31 मार्च 2020 तक रोक लगाई है इससे बड़ी आबादी के समक्ष भुखमरी की स्थिति पैदा होने की आशंका है।

अखिलेश यादव ने कहा कि जब भाजपा सरकार ने ऐतिहासिक बजट पेश किया है तो उसे जनहित में ऐतिहासिक पैकेज देने में संकोच नहीं करना चाहिए। आधी अधूरी घोषणा से पूरा काम नहीं चलेगा। सरकारों को यह सुनिश्चित भी करना होगा कि कोई वंचित और कमजोर समाज का व्यक्ति राहत से छूट न जाये। अन्यथा उसके सामने जीने का संकट उत्पन्न हो जायेगा।

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उन्होने कहा कि फिलहाल राज्य सरकार ने पंजीकृत श्रमिकों को ही राहत देने का एलान किया है। किसान परेशान है असमय बारिश और ओलावृष्टि से उसकी फसल चौपट हो गई है। उसकी जिंदगी फसल की बिक्री पर निर्भर रहती है लेकिन आपदा से उसकी उम्मीदों पर पानी फिर गया है। सूदखोरों और बैंकों का कर्ज उस पर अतिरिक्त भार होता है। इसी मजबूरी में वह आत्महत्या करता है।

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उन्होने कहा कि ईंट भट्ठा पर काम करने वाले मजदूर, बेलदार और महिलाएं जो घरों में काम करके आजीविका चलाती है उनके लिए भी शासन-प्रशासन को कोई न कोई व्यवस्था करनी चाहिए। अपंजीकृत दिहाड़ी मजदूरों के घर चूल्हा जलते रहे इसके लिए भी तो सरकार को व्यवस्था करनी चाहिए। उनको और उनके परिवार के सदस्यों को किसके भरोसे छोड़ा जा रहा है?

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उन्होने कहा कि कल्याणकारी राज्य में सभी नागरिकों के योग क्षेम के वहन की जिम्मेदारी सत्ता में प्रतिष्ठित सरकार की होती है। प्रदेश में और केन्द्र में भाजपा की सरकारें है। डबल इंजन की इन सरकारों के रहते भी प्रदेशवासियों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ होना अनुचित और अमानवीय है। राज्य सरकार को चाहिए कि वह सभी लोगों को तत्काल मुफ्त राशन की व्यवस्था करे। बीमारों के निःशुल्क इलाज की सुविधा हो।

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