Breaking News

बच्चे नि:शुल्क घर बैठे हिन्दी मे आनलाईन करे पढ़ाई , बैठक ऐप उपलब्ध

नयी दिल्ली , कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन की वजह से स्कूलों के बंद होने से छात्रों की प्रभावित हो रही पढ़ाई को ऑनलाइन जारी

रखने के उद्देश्य से बैठक ऐप तैयार कराया गया है।

देश के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले एक करोड़ छात्रों के लिए बैठक ऐप उपलब्ध है।

ऑनलाइन कारोबार शुरू करने की, फ्लिपकार्ट ने शुरू कर दी तैयारी

एचसीएल के पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं संपर्क फांडउेशन के संस्थापक विनीत नायर ने 10 करोड़ रुपये के निवेश से बैठक ऐप तैयार

कराया है जो देश के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले एक करोड़ छात्रों के लिए उपलब्ध है।

श्री नायर ने दुनिया भर के प्रेरित डेवलपररों, शिक्षकों , बाल मनोचिकित्सक, गेम डिजाइनरों और ग्राफिक एनिमेटरों के एक समूह के साथ मेहनत करके यह ऐप तैयार कराया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे एक करोड़ बच्चों की शिक्षा कोरोना वायरस की वजह से बाधित न हो।

श्री नायर और उनकी पत्नी द्वारा अपने फाउंडेशन की तरफ से 10 करोड़ रूपये के निवेश और नोएडा तथा सिडनी के 28 चुनिंदा विशेषज्ञों के सहयोग से ‘बैठक ऐप’ का निर्माण किया गया है, जिसका परीक्षण बेंगलुरु में किया गया है। यह हिंदी भाषा में भारत के सबसे बड़े निशुल्क शिक्षण और विकास मंच में से एक है। यह एक ऐसा ऐप है जिसके माध्यम से सरकारी प्राथमिक स्कूलों के बच्चे रोचक और मजेदार तरीके से घर बैठे पढ़ सकते हैं।

बच्चों ने बनाया वेंटिलेटर और स्वयंचलित हैंड सैनिटाइजर मशीन

इस मंच का प्रचार- प्रसार राज्य सरकारों के सहयोग से भारत के 6 राज्यों में तेजी से किया जा रहा है ताकि एक करोड़ से भी ज्यादा बच्चे इस ऐप का शीघ्रता से लाभ लेकर पढाई बिना स्कूल गए भी सुचारु रुप से कर सकतें है। श्री नायर ने शुक्रवार को यहां कहा कि जो मातापिता सक्षम हैं वो अपने बच्चों को ऑनलाईन लर्निंग प्लेटफॉर्म में दाखिला दिला रहे हैं लेकिन सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले ज्यादातर बच्चों के मातापिता इन मंहगी ऑनलाईन शिक्षा प्लेटफॉर्म का खर्च वहन नहीं कर सकते और इनमें से ज्यादातर प्लेटफॉर्म अंग्रेजी में हैं जबकि सरकारी स्कूलों में सभी विषय हिंदी भाषा में पढ़ाए जाते हैं। इन ऑनलाईन कक्षाओं की सबसे बड़ी मुश्किल है कि इनके पाठ्यक्रम की विषयवस्तु इन राज्यों में पढ़ाई जाने वाली पाठ्यपुस्तकों से अलग है। हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि कोरोना वायरस के संकट के दौरान हर बच्चे को अपनी शिक्षा जारी रखने का समान अवसर मिले चाहे वह किसी भी वर्ग से आता हो।

ओला ग्रुप ने मुख्यमंत्री राहत कोष में दिये 50 लाख, ‘ओला इमरजेंसी’ का करेगी विस्तार