दलित, ओबीसी और माईनारिटी संगठनों का बना परिसंघ, उदितराज के नेतृत्व मे जनांदोलन की तैयारी
May 21, 2018
लखनऊ, दलित, ओबीसी और माईनारिटी के कई संगठनों ने मिलकर डीओएम परिसंघ का गठन किया गया है.परिसंघ द्वारा सामाजिक चिंतक और सांसद उदितराज के नेतृत्व मे बड़े जनांदोलन की तैयारी की जा रही है.
दलित, ओबीसी और माईनारिटी परिसंघ की आरंभिक बैठक गोमती नगर स्थित होटल मे हुयी, जिसमे दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यक समुदाय के तमाम संगठनों के प्रमुखों ने शिरकत की. संगठन प्रमुखों को संबोधित करते हुये सांसद उदितराज ने कहा कि पदोन्नति मे जो आरक्षण समाप्त हुआ है वह न्यायपालिका की वजह से हुआ है. विधायिका सीधे आरक्षण समाप्त नही कर सकती है, इसलिये ये काम अब न्यायपालिका से कराना शुरू कर दिया. उन्होने कहा कि मनुवादी व्यवस्था अब इस तरह काम कर रही है.
उन्होने इसाई शिक्षण संस्थानों पर हो रहे हमलों का जिक्र करते हुये कहा कि जब तक इसाई शिक्षण संस्थानों मे सवर्णों के बच्चे पढ़ रहे थे तब तक सब कुछ ठीक था. लेकिन जैसे ही इसाई शिक्षण संस्थानों ने दलित, ओबीसी के बच्चों को पढ़ाना शुरू किया इन संस्थाओं पर हमले होने लगे. बताया जाने लगा कि ये हिंदू धर्म को कमजोर कर रहे हैं, हिंदू विरोधी हैं, इसाई धर्म को बढ़ा रहे हैं.
आरक्षण की वकालत करते हुये सांसद उदितराज ने कहा कि अब तो कई अध्ययनों से यह सिद्ध हो गया है कि आरक्षण पाये हुये लोग जहां काम करते हैं , वहां प्रोडक्शन अधिक होता है. सामाजिक चिंतक ने मेरिट की बात करने वालों पर हमला करते हुये मिलर कमेटी का जिक्र किया. उन्होने आरक्षण को लेकर एससी, एसटी और ओबीसी पर किये गये दो अध्ययनों का भी जिक्र किया.
उन्होने बताया कि मिशिगन यूनिवर्सिटी द्वारा रेलवे मे आरक्षण पाये लोगों पर अध्ययन किया गया और ये पाया कि आरक्षित वर्ग के लोग जहां काम कर रहे थे वहां प्रोडक्शन अधिक हुआ. मनरेगा मे एससी, एसटी और ओबीसी के आईएएस अफसरों पर किये गयी स्टडी का जिक्र करते हुये कहा कि इस स्टडी ने भी सिद्ध कर दिया कि आरक्षण से कहीं भी उत्पादन क्षमता या प्रशासनिक क्षमता मे कमी नही आयी बल्कि वहां बेहतर काम हुआ .
सांसद उदितराज ने कहा कि जब तक सभी जातियों का देश के निर्माण मे योगदान नही होगा तब तक देश महान नही हो सकता है. एेसा नही हो सकता कि देश का 85 प्रतिशत तबका गरीब ,लाचार रहे, मुख्यधारा से अलग रहे और देश विकसित हो जाये. उन्होने कहा कि इसके लिये देश के 85 प्रतिशत तबके को इम्पावर करना होगा. उनहोने कहा कि जहां पर रिजर्वेशन पहले आया, दलितों, पिछड़ों के सामाजिक आंदोलन पहले हुये वह राज्य आज आगे हैं और जहां ये नही हुआ वह राज्य पिछड़ गये. उन्होने उदाहरण देते हुये कहा कि आप दक्षिण के राज्यों को देखिये वह उत्तर के राज्यों से कहीं ज्यादा आगे हैं.
सामाजिक चिंतक ने कहा कि आज एससी, एसटी और ओबीसी के अधिकारों को धीरे-धीरे समाप्त करने की साजिश रची जारही है. इसके लिये यह जरूरी है सभी वंचित तबके एक मंच पर आये और अपने अधिकारों के लिये सड़क पर उतर कर संघर्ष करें. उन्होने कहा कि इसके लिये डीओएम जैसे संगठन की आज जरूरत है. यह एक गैर राजनैतिक संगठन है जिसमे दलित, ओबीसी और माईनारिटी के सभी प्रमुख संगठन जुड़ें हैं.
उन्होने डीओएम के सदस्यों का अह्वाहन करते हुये कहा कि अब अगर हमने संघर्ष का रास्ता नही अपनाया तो कुछ नही बचेगा. आप इस तरह संगठन को तैयार करें कि एक काल पर आपके सदस्य कहीं पर भी, किसी भी समय उपस्थित हो जायें. और इस प्रयोग की शुरूआत यूपी से होगी.
कार्यक्रम को उपकुलपति डा0 आर बी लाल, चौरसिया महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजेश्वर चौरसिया, पिछड़ा वर्ग संघ के अध्यक्ष राम लोटन निषाद, महासचिव विशवकर्मा, राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के सदस्य साहू अक्षय भाई ने भी संबोधित किया. डीओएम के प्रदेश महासचिव सुशील कमल ने प्रदेश स्तरीय संगठन के गठन के लिये आगे की योजना के प्रारूप पर चर्चा की. कार्यक्रम का संचालन डीओएम के प्रदेश अध्यक्ष डा0 वीरेंद्र यादव ने किया.