लखनऊ के ज्यादातर थानों में केवल दो जातियाें के थानेदार, मुस्लिम साफ, पिछड़े और दलित हाशिये पर
May 20, 2018
लखनऊ, सबका साथ-सबका विकास के नारे से सत्ता मे आयी बीजेपी सरकार असलियत मे क्या कर रही है, इसका अहसास लखनऊ के सभी थानों में पोस्ट किये गये थानेदारों की सूची देखकर स्पष्ट हो जाता है। लखनऊ के 43 थानों में से 30 थानों में केवल ब्राह्मण और क्षत्रिय थानेदार ही पोस्ट किये गयें हैं।
यह तथ्य संजय शर्मा द्वारा एक आरटीआई अर्जी पर लखनऊ के अपर पुलिस अधीक्षक (विधानसभा) और जनसूचना अधिकारी द्वारा दिए जवाब से सामने आए हैं। जनसूचना अधिकारी ने बताया है कि राजधानी के थानों में शत-प्रतिशत हिंदू थानेदारों की तैनाती है। इनमें से एक भी थानेदार मुस्लिम नही है। 11.5 फीसदी अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और इतने ही प्रतिशत अनुसूचित जाति-जनजाति (एससी/एसटी) के हैं। जबकि राजधानी के 77 प्रतिशत थानों में अगड़ी जाति के लोग काबिज है।
लखनऊ के 43 थानों का जातिवार ब्यौरा इसप्रकार है। 43 थानों में से 18 में ब्राह्मण, 12 में क्षत्रिय, 2 में कायस्थ, 1 में वैश्य, 2 में कुर्मी, 1 में मोराई, 1 में काछी, 1 में ओबीसी, 1 में धोबी, 1 में जाटव, 1 में खटिक और 2 में अनुसूचित जाति के थानेदार तैनात हैं। यूपी मे 19 प्रतिशत आबादी मुसलमानों की हैं पर लखनऊ के 43 थानों में एक भी मुसलमान थानेदार नहीं तैनात किया गया है। वहीं , यूपी मे 14 प्रतिशत आबादी वाली यादव जाति का भी एक भी थानेदार नही है।
शासन ने 54 प्रतिशत से अधिक आबादी वाले अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को 27 प्रतिशत का आरक्षण दिया हुआ है, लेकिन राजधानी के थानों मे ओबीसी के थानेदारों का प्रतिनिधित्व मात्र 11.5 प्रतिशत ही है। इसी प्रकार कुल आबादी का 21 प्रतिशत हिस्सा अनुसूचित जाति का होने पर भी इस राजधानी के थानेदारों की नुमाइंदगी मात्र 11.5 प्रतिशत पर ही सिमट कर रह गई है।
इसतरह दलितों – पिछड़ों को कुल 23 प्रतिशत की हिस्सेदारी दी गयी है, जबकि 77 प्रतिशत थानों पर अगड़ी जाति के लोग काबिज हैं। इन 77 प्रतिशत थानों मे भी मात्र दो अगड़ी जातियों ब्राह्मण और क्षत्रिय ही ज्यादातर थानों पर काबिज हैं। शासन सत्ता मे सबका साथ-सबका विकास के नारे से आयी बीजेपी सरकार की कमोबेश यही स्थिति पूरे प्रदेश मे है।