लोकसभा चुनाव- यूपी मे बीजेपी फिर किस पर खेलने जा रही दांव ?
July 15, 2018
लखनऊ, 2019 के लोकसभा चुनाव को लेकर बीजेपी ने अपने पत्ते बिछाने शुरू कर दियें हैं। जब बात हो यूपी की तो यह निश्चित है कि जातीय समीकरण सबसे अहम हो जातें हैं। इसलिये बीजेपी एकबार फिर उत्तर प्रदेश में जातीय समीकरण को भरपूर तवज्जो दे रही है।
बीजेपी ने 2014 के लोकसभा और 2017 के विधानसभा चुनाव में दलित और ओबीसी वोटों की सफलतापूर्वक गोलबंदी अपने पक्ष में की थी। लेकिन एसपी-बीएसपी के एक प्लेटफॉर्म पर आने की वजह से बीजेपी की यह गोलबंदी 2019 के लोकसभा चुनाव के लिये फेल हो गई है। इसलिये बीजेपी ने अपने जातीय समीकरण मे नया फेरबदल किया है।
अब बीजेपी की नजर यूपी मे सर्वाधिक आबादी वाले ओबीसी वर्ग पर है। यूपी मे ओबीसी की आबादी में 54 से 60 फीसदी है। यूपी मे ओबीसी वर्ग ने पिछले दो चुनावों- 2014 और 2017- में बीजेपी को सपोर्ट किया था लेकिन उन्हें कुछ हासिल नहीं हुआ। ओबीसी नेताओं का कहना है कि पार्टी के ओबीसी में एक धारणा बनती जा रही है कि बीजेपी उन्हे केवल चुनाव के लिये यूज करती है। उप मुख्यमंत्री केशव मौर्या की सरकार मे स्थिति देखकर ओबीसी अब बीजेपी से खिसकने लगा है।
रिपोर्ट के मुताबिक बीजेपी इस धारणा को तोड़ने की कोशिश करने जा रही है। वह एकबार फिर ओबीसी पर ही दांव खेलने जा रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ठाकुर समुदाय से आते हैं। योगी आदित्यनाथ का प्रभाव पूर्वांचल और गोरखपुर में है। वर्तमान यूपी बीजेपी केअध्यक्ष महेन्द्र नाथ पांडेय ब्रह्माण समुदाय से ताल्लुक रखते हैं और वह भी पूर्वांचल से ही हैं। उनका संसदीय क्षेत्र चंदौली वाराणसी के करीब है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी पूर्वांचल स्थित वाराणसी से सांसद हैं।
सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी महेन्द्र नाथ पांडेय से अध्यक्ष पद की कुर्सी लेकर किसी प्रभावशाली ओबीसी नेता को सौंप सकती है। सबसे आश्चर्य की बात यह है कि कोई जरूरी नही कि यह नेता पार्टी का ही हो, इसे बीजेपी दूसरी पार्टी से भी आयात कर सकती है। वैसे बीजेपी के एक नेता ने दावा किया कि अगर उत्तर प्रदेश में संगठनात्मक बदलाव होता है तो राज्य के परिवहन मंत्री स्वतंत्रदेव सिंह को यूपी बीजेपी अध्यक्ष बनाया जा सकता है। स्वतंत्रदेव सिंह कुर्मी समुदाय के नेता है और बुंदेलखंड क्षेत्र से आते हैं।