न्यायालय ने कहा है कि वर्ष 2015 में इलाहाबाद में हुये अपहरण के मामले में बबलू अभियोजन पक्ष के गवाहों को किसी प्रकार का लालच और धमकी नहीं देंगे। वह मुकदमे की सुनवाई के दौरान साक्ष्य नही मिटायेंगे। वह हर तारीख पर ट्रायल कोर्ट में मौजूद रहेगा और अपहरण अथवा इस जैसा कोई अपराध नही करेगा।
न्यायाधीश ओमप्रकाश.सप्तम की अदालत ने कहा है कि किसी भी शर्त का उल्लंघन करने पर जमानत को निरस्त कराने का अभियोजन को हक होगा। अपहरण के इस मामले में कोतवाली थाने में बबलू के खिलाफ धारा 364.एए 120.बीए 342ए395ए और 412 आईपीसी के तहत केस दर्ज है। जमानत पर छूटने के लिए बबलू को निजी बान्ड भरने के अलावा कम से कम 10.10 लाख का दो प्रतिभूतियां भी न्यायालय की संतुष्टि पर देनी होगी ।
बबलू के वकीलो वी पी श्रीवास्तव, वी एस गौड़ और दिलीप तिवारी का कहना था कि आरोपी अपहरण के वारदात के समय जेल में था। उस पर अपहरण का आरोप फर्जी है। विवेचना में भी पुलिस ने केवल षडयंत्र का ही दोषी पाया है। कहा गया था कि पांच सितम्बर 2015 की घटना में छह सितम्बर को मुकदमा दर्ज हुआ और सात तारीख को ही बरामदगीण् हो गयी थी। बरामदगी कर पुलिस ने चारो अभियुक्तो विकल्प श्रीवास्तव उर्फ गोलूए महेन्द्र यादवए सच्चिदानंद यादव और बबलू को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था।