लखनऊ, उत्तर प्रदेश के उपचुनावों के बाद अब समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी अब फिर साथ दिख सकती है. दोनो पार्टी बीजेपी को मिलकर घेरने की रणनीति बना रही है.
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दोनों दल प्रदेश की कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर सरकार को घेरने की साझा रणनीति पर काम कर सकते हैं. दोनों पार्टियों के नेता दावा कर रहे हैं कि मानसून सत्र में यूपी की लचर कानून व्यवस्था को लेकर भाजपा की नीयत और विकास के नारे की पोल खोलेंगे. सोमवार से शुरू होने वाले मानसून सत्र में सत्ता पक्ष जहां 50 लंबित बिलों और छह अध्यादेशों को पास कराने की कोशिश में रहेगा, वहीं विपक्ष कई मुद्दों पर अपनी एकता की संभावनाएं तलाश रहा है. सपा और बसपा का एक साथ आना विपक्ष की मजबूती के लिहाज से खासा अहम है.
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सपा महासचिव सुरेंद्र नागर ने कहा कि उत्तर प्रदेश की कानून-व्यवस्था बदतर होती जा रही है. जेल में भी आज कोई सुरक्षित नहीं है. मोदी जी और उनके मंत्री सपा के किए विकास कार्यों का श्रेय लेने में जुटे हैं. राजधानी लखनऊ तक में बच्चियां सुरक्षित नहीं. हम संसद के पटल पर इन मसलों को उठाएंगे और उम्मीद करेंगे की सभी विपक्षी दल इसमें साथ आए. हालांकि बसपा के पास लोकसभा में कोई सीट नहीं है लेकिन अपने चार राज्यसभा सांसदों के सहारे वह सपा को सहयोग कर सकती है.