नई दिल्ली,हौसले बुलंद हो तो कामयाबी आपकी मुट्ठी में आकर रहेगी। इसकी एक जीती जागती मिसाल लखनऊ की ऋतु सुहास ने मिसेज इंडिया-2019 का खिताब अपने नाम कर साबित कर दिया।
प्रतियोगिता का फाइनल राउंड रविवार को देर रात सम्पन्न हुआ। इसमें शामिल 20 राज्यों के 59 प्रतिभागियों को आत्मविश्वास से भरी ऋतु ने पीछे छोड़ा। प्रतियोगिता में कुल छह राउंड हुए थे, जिसमें कॉस्ट्यूम व सवाल-जवाब सेशन में ऋतु सबसे आगे रहीं और विजेता बनीं।
उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व करते हुए उन्होंने मुगले आजम की अनारकली ड्रेस पहनी, जिसने निर्णायकों को प्रभावित किया जबकि सवाल-जवाब राउंड में उनसे सफलता और असफलता के मायने पूछे गए। उनका जवाब था कि ये दोनों एक-दूसरे के विलोम नहीं बल्कि पर्यायवाची हैं।
असफल होने के बाद लगातार किए गए प्रयासों का नतीजा है सफलता। सोमवार सुबह राजधानी लौटने पर चौधरी चरण सिंह अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर ऋतु सुहास का जोरदार स्वागत हुआ। एलडीए वीसी पीएन सिंह ने भी उनसे मुलाकात कर उन्हें खिताब जीतने के लिए बधाई दी। गौरतलब है कि ऋतु आईएएस अधिकारी व पैरा शटलर सुहास एल वाई की पत्नी हैं। उनके दो बच्चे हैं।
ऋतु सुहास ने कहा कि ऑफिस और घर की जिम्मेदारी के बीच प्रतियोगिता की तैयारी चुनौतीपूर्ण तो थी। मैंने काफी पहले से इसकी तैयारी शुरू कर दी थी, क्योंकि मैं लंबा वक्त तैयारियों के लिए नहीं निकाल सकती थी। इसके लिए मैंने घर में लगे वॉल मिरर और घर के सामने के पार्क को चुना।
पार्क में रनिंग व व्यायाम और शीशे के आगे वॉक, डांस व अन्य तैयारियों का अभ्यास करती रही। पीसीएस के लिए अपनाई सेल्फ स्टडी की टेक्नीक मैंने मिसेज इंडिया बनने के लिए भी अपनाई और सफल हो गई। ऋतु ने बताया कि स्पीच राउंड में सभी प्रतिभागियों ने महिला सशक्तीकरण पर अपनी बात रखी, लेकिन मैंने नमामि गंगे और स्वच्छ कुंभ पर अपनी बात रखी, जिसे निर्णायक मंडल ने काफी पसंद किया।
ऋतु कहती हैं कि प्रतियोगिताएं किसी भी स्तर की हों, उनकी तैयारियों पर बेतहाशा खर्च करने से बचना चाहिए। महंगी ड्रेस नहीं बल्कि अपने भीतर का आत्मविश्वास विजेता बनाता है। ऋतु ने बताया कि उन्होंने कॉस्ट्यूम राउंड के लिए ड्रेस अपने एक थियेटर ग्रुप के दोस्त से उधार ली थी और ज्वेलरी किराए पर ली थी जबकि फाइनल राउंड में जो गाउन मैंने पहना वह अमीनाबाद से कपड़ा खरीदकर बनवाया। आमतौर पर ऐसी प्रतियोगिताओं के गाउन काफी महंगे आते हैं। एक बार पहनने के बाद न तो उनका दोबारा इस्तेमाल होता और खरीदने के बाद फिटिंग कराने का झंझट अलग होता है।