सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ जज ने न्यायपालिका मे मोदी सरकार के हस्तक्षेप पर की आपत्ति
March 30, 2018
नयी दिल्ली, उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठतम न्यायाधीश न्यायमूर्ति जे चेलामेश्वर ने प्रधान न्यायाधीश(सीजेआई) को पत्र लिखकर उनसे न्यायपालिका में कार्यपालिका के कथित हस्तक्षेप के मुद्दे पर पूर्ण पीठ बुलाने पर विचार करने को कहा है। न्यायमूर्ति चेलामेश्वर ने21 मार्च को लिखे पत्र में आगाह किया, ‘‘ न्यायपालिका और सरकार के बीच किसी भी तरह का भाईचारा लोकतंत्र के लिए मौत की घंटी है।
शीर्ष न्यायालय के22 अन्य न्यायाधीशों को भी भेजे गये इस अभूतपूर्व पत्र में कर्नाटक उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश दिनेश माहेश्वरी द्वारा केन्द्रीय विधि एवं न्याय मंत्रालय के इशारे पर जिला एवं सत्र न्यायाधीश कृष्ण भट के खिलाफ शुरू की गई जांच पर सवाल उठाए गए। खास बात है कि कालेजियम ने दो बार पदोन्नति के लिए उनके नाम की सिफारिश की थी।
न्यायमूर्ति चेलामेश्वर ने छह पेज के पत्र में लिखा कि बेंगलुरूसे किसी एक ने रसातल पर जाने की दौड़ में हमें पहले ही हरा दिया है। कर्नाटक उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश कार्यपालिका के आदेश पर काम करने के बहुत इच्छुक हैं। न्यायिक स्वतंत्रता का मुद्दा उठाते हुए उन्होंने कहा, ‘‘ हम उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों पर कार्यपालिका के बढते अतिक्रमण के सामने अपनी निष्पक्षता और अपनी संस्थागत ईमानदारी खोने का आरोप लग रहा है।
सीजेआई द्वारा मामलों के आवंटन पर तीन अन्य वरिष्ठ न्यायाधीशों के साथ12 जनवरी को अभूतपूर्व प्रेस कांफ्रेंस करने वाले न्यायमूर्ति चेलामेश्वर ने उच्चतर न्यायपालिका में नियुक्ति के लिए कालेजियम द्वारा नामों की सिफारिश के बाद भी सरकार के फाइलों पर बैठे रहने को लेकर‘‘ नाखुशी वाले अनुभव’’ का जिक्र किया।
उन्होंने सीजेआई से इस मुद्दे पर पूर्ण पीठ बुलाकर न्यायपालिका में कार्यपालिका के हस्तक्षेप के विषय पर गौर करने को कहा। उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि उच्चतम न्यायालय संविधान के नियमों के तहत प्रासंगिक बना रहे।
नयी दिल्ली, उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठतम न्यायाधीश न्यायमूर्ति जे चेलामेश्वर ने प्रधान न्यायाधीश(सीजेआई) को पत्र लिखकर उनसे न्यायपालिका में कार्यपालिका के कथित हस्तक्षेप के मुद्दे पर पूर्ण पीठ बुलाने पर विचार करने को कहा है। न्यायमूर्ति चेलामेश्वर ने21 मार्च को लिखे पत्र में आगाह किया, ‘‘ न्यायपालिका और सरकार के बीच किसी भी तरह का भाईचारा लोकतंत्र के लिए मौत की घंटी है।
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न्यायमूर्ति चेलामेश्वर ने छह पेज के पत्र में लिखा कि बेंगलुरूसे किसी एक ने रसातल पर जाने की दौड़ में हमें पहले ही हरा दिया है। कर्नाटक उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश कार्यपालिका के आदेश पर काम करने के बहुत इच्छुक हैं। न्यायिक स्वतंत्रता का मुद्दा उठाते हुए उन्होंने कहा, ‘‘ हम उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों पर कार्यपालिका के बढते अतिक्रमण के सामने अपनी निष्पक्षता और अपनी संस्थागत ईमानदारी खोने का आरोप लग रहा है।
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उन्होंने सीजेआई से इस मुद्दे पर पूर्ण पीठ बुलाकर न्यायपालिका में कार्यपालिका के हस्तक्षेप के विषय पर गौर करने को कहा। उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि उच्चतम न्यायालय संविधान के नियमों के तहत प्रासंगिक बना रहे।