मोदी सरकार की आरक्षण विरोधी नीति को दर्शा रहा, ज्वाइंट सेक्रेटरी पद पर सीधी भर्ती का विज्ञापन
June 14, 2018
नई दिल्ली, केन्द्र सरकार ने प्राइवेट क्षेत्र में बड़े पद पर नौकरी कर रहे पेशेवर लोगों को अधिकारी बनाने की तैयारी कर ली है। 10 ज्वाइंट सेक्रेटरी पद के लिए अधिसूचना जारी की है। इन उम्मीदवारों की नियुक्ति लैटरल एंट्री के माध्यम से होगी। लेकिन ज्वाइंट सेक्रेटरी पद पर सीधी भर्ती का यह विज्ञापन मोदी सरकार की आरक्षण विरोधी नीति को दर्शा रहा है।इन 10 पदों पर दलितों, पिछड़ों और आदिवासियो को आरक्षण नही दिया गया है।
इन पदों पर वह आवेदन कर सकते हैं जिनकी उम्र 1 जुलाई तक 40 साल हो और उम्मीदवार किसी भी मान्यता प्राप्त यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट हो। साथ ही उसके पास किसी सरकारी, पब्लिक सेक्टर यूनिट, यूनिवर्सिटी के अलावे किसी प्राइवेट कंपनी में 15 साल तक काम करने का अनुभव हो। इन पदों पर मोदी सरकार द्वारा कार्यकाल तीन साल का होगा। जिसे सरकार 5 साल तक बढ़ा सकती है। चयनित उम्मीदवारों को 1.44 लाख से 2.18 लाख रुपये का वेतन दिया जाएगा। इसके अलावे उन्हें भत्ते और कई सरकारी सुविधाएं भी मिलेंगी।
खास बात ये है कि सिविल सर्विस के अधिकारियों की भांति सब सुविधायें दिये जाने के बावजूद इन पदों पर दलितो, पिछड़ों , आदिवासियों के लिये संविदान प्रदत्त आरक्षण दिये जाने की कहीं व्यवस्था नही है। मोदी सरकार ज्वाइंट सेक्रेटरी के 10 पदों पर बिना कोई परीक्षा लिए, बिना आरक्षण दिए सीधे बहाल करेगी।
भारत मे, ओबीसी आरक्षण के लागू होने के लगभग ढाई दशक के बाद भी केंद्र सरकार का डेटा है कि आज भी केंद्र सरकार की नौकरियों में 7 फ़ीसदी के आसपास पिछड़े हैं, जो कमीशन की रिपोर्ट लागू होने के पहले भी अमूमन इतनी ही संख्या में थे। आख़िर कौन शेष 20 % आरक्षित सीटों पर कुंडली मार कर इतने दिनों से कौन बैठा हुआ है? एससी-एसटी आरक्षण को तो और भी डायल्युट कर दिया जाता है । यही रवैया रहा तो भारत से आरक्षण समाप्त हो सकता है।