लंदन, ब्रिटेन में इन दिनों बहस चल रही है कि ब्रेक्जिट के बाद 50 पाउंड के नोट पर किसकी फोटो छपनी चाहिए? यह ब्रिटिश करंसी का सबसे बड़ा नोट है और इसे 2020 में प्लास्टिक फॉर्म में री-इश्यू किया जाएगा. इस बहस के बीच वहां के इतिहासकारों ने भारतीय मूल की महिला नूर इनायत खान की फोटो छापने को लेकर कैम्पेन शुरू कर दिया है.
सामाजिक कार्यकर्ता जेहरा जैदी की इस कैम्पेन का इतिहासकार और बीबीसी के एंकर डैन स्नो ने समर्थन किया है. वहीं संसद में विदेश समिति के चेयरमैन टॉम टुगेनडाट और बरौनेस सायीदा वारसी ने भी इस संबंध में अपील की है.जैदी ने द टेलीग्राफ से कहा, “नूर इनायत खान एक प्रेरणादायी महिला थीं. वह एक ब्रिटिश, सोल्जर, लेखिका, मुस्लिम, भारत की आजादी की समर्थक, सूफी, फासिस्म के खिलाफ फाइटर थीं और एक हीरोइन थीं. आज जिस दुनिया में हम रह रहे हैं वह उस जमाने में उसी दुनिया की बात करती थीं. यदि खान की फोटो ब्रिटिश करंसी में छपती है तो वह यह सम्मान पाने वाली एथनिक माइनॉरिटी की पहली शख्स होंगी.
नूर ने न सिर्फ फ्रांस में ब्रिटेन की तरफ से जर्मनी और हिटलर के खिलाफ जासूसी की थी. बल्कि उनकी नाक में दम कर दिया था. टीपू सुल्तान की वंशज नूर इनायत खान से फ्रांस में 10 महीने तक की कड़ी यातनाओं के बाद भी कोई एक राज तक नहीं उगलवा सका था. उनकी इस वीरता और समझदारी के लिए उन्हें मरणोपरांत ब्रिटेन के दूसरे सबसे बड़े सम्मान जॉर्ज क्रॉस से सम्मानित किया गया था.