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बेटी ने अपनी मां की कोख से दिया अपने बच्चे को जन्म

मुंबई, चिकित्सा जगत में कितने ही चमत्कार देखने को मिलते रहे हैं, लेकिन डॉक्टरों की माने तो ऐसा भारत में शायद ही कभी हुआ है।  महाराष्ट्र के पुणे के गैलक्सी केयर हॉस्पिटल में एक महिला ने अपनी मां के गर्भाशय से बच्ची को जन्म दिया है। 17 माह पहले महिला का गर्भाशय डैमेज हो गया था। इसके बाद महिला में उनकी मां का गर्भाशय ट्रांसप्लांट किया गया था। गुजरात निवासी मीनाक्षी ने तीन गर्भपात के बाद मां बनने का सपना ही छोड़ दिया था, लेकिन मेडिकल साइंस ने उनकी खोई हुई उम्मीद को पूरा किया। मीनाक्षी सिर्फ हिंदुस्तान ही नहीं, बल्कि एशिया की ऐसी पहली महिला हैं, जिन्होंने ट्रांसप्लांट हुए गर्भाशय से बच्चे को जन्म दिया है।

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 वडोदरा की महिला का 17 महीने पहले गर्भाशय प्रत्यारोपण किया गया था और यह अपनी तरह का देश का दूसरा ऐसा ऑपरेशन था। पहला ऐसा ऑपरेशन भी एक दिन पहले ही किया गया था। बाद में प्रेग्नेंट हुई महिला का डॉक्टर्स को इमरजेंसी में सिजेरियन करना पड़ा और उसने बच्ची को जन्म दिया। हालांकि बच्ची समय से पहले पैदा हुई और 32 सप्ताह की प्रेग्नेंसी से बाद जन्मी लेकिन फिलहाल वह स्वस्थ है।

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ट्रांसप्लांट सर्जन शैलेश पुंटामबेकर ने बताया, ‘जन्म के समय बच्ची का वजन 1,450 ग्राम था। अब बच्ची और मां दोनों स्वस्थ हैं। पिछला एक साल काफी चुनौतीपूर्ण रहा लेकिन ट्रांसप्लांट के बाद सफलतापूर्वक स्वस्थ बच्ची का जन्म हुआ है। यह बच्ची अब देश और दुनिया को इस तरह अपने जन्म की शानदार कहानी सुनाएगी।’  डॉक्टर्स जहां नवंबर के पहले सप्ताह में सी-सेक्शन की तैयारी कर रहे थे, जब गर्भ करीब 34 सप्ताह का होता, अचानक हालात बिगड़ गए। मां का ब्लड शुगर और बल्ड प्रेशर बढ़ने लगा।

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डॉक्टर ने बताया, ‘जांच में पता चला कि प्लेसेंटा भ्रूण से ज्यादा तेजी से विकसित हो रहा था।’ ऐसी स्थिति में भ्रूण अविकसित रहता और शरीर को आभास होता कि वह विकसित हो चुका है और उसे पोषण मिलना बंद हो जाता। महिला को उसकी 45 वर्षीय मां ने अपना गर्भाशय डोनेट किया था। ट्रांसप्लांट का मामला होने के चलते प्रेग्नेंसी का पता चलने के बाद से ही महिला पुणे के अस्पताल की देखरेख में थी। दरअसल इस स्थिति में अंग का ट्रांसप्लांट होता है लेकिन सभी नर्व्स पहले की तरह नहीं जुड़ पातीं, इसलिए गर्भवती को लेबर पेन का पता नहीं चलता। इन्हीं कारणों से यह प्रक्रिया चुनौतीपूर्ण थी। आखिरकार मां और बच्ची दोनों स्वस्थ हैं और डॉक्टर भी इसे बड़ी कामयाबी मान रहे हैं।

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